कन्या -भ्रूण हत्या एक सामाजिक अपराध

कन्या -भ्रूण  हत्या 

बहुत ही खुबसूरत एहसास होता है माँ बनने का ,एक एहसास माँ होने का ,एक एहसास माँ बन कर जीने का ,
माँ शब्द यानि जननी ,माँ शब्द यानि प्रकृति ,माँ शब्द यानि शक्ति ,और सबसे बड़ी बात माँ शब्द यानि एक लड़की ,औरत 
और आज उसी लड़की की हत्या , उसी के माँ के गर्भ में हो रही है ,ये एक अजन्मे कन्या -शिशु की हत्या नहीं हो रही है बल्कि ये एक औरत के आस्तित्व की हत्या हो रही है , कन्या नहीं मतलब औरत नहीं ,एक औरत नहीं मतलब एक माँ नहीं 
कैसे होगा सृजन इस संसार का ,जननी के बिना ,कैसी बजेगी बधाई माँ के बिना , सुना रहेगा पालना ,किलकारियों के बिना ,कैसे गूंजेगी शहनाई , कैसे सजेगी सेज ,यदि लड़की नहीं होगी , नन्दलाल तो होंगे लेकिन कैसे रचेगी रास राधा रानी के बिना , लड़की नहीं रहेगी तो न यशोदा माँ रहेगी और न राधा रानी रहेगी , लड़कियों से इतनी नफरत करने वाले कभी सोचा है तुमने यदि लड़की नहीं होती तो तुम इस दुनिया में कैसे आते ,जिससे तुम जन्म लेने का अधिकार छीन रहे हो उसी ने तुम्हें जन्म दे कर इस दुनिया में लाया है ,ऐ माँ आज तुम बेटे की चाह में मुझसे जीने का अधिकार छीन रही हो लेकिन माँ तुम भी एक लड़की हो और तुम्हे भी जन्म देने वाली एक औरत है ,उसने अगर तुमसे जन्म लेने का अधिकार छीन लिया होता तो आज न तुम होती और ना तुम्हारे बेटे की चाह ,
जी हां आज मै आप सबका ध्यान कन्या भूर्ण हत्या की ओर ले जाना चाहती हूँ ,

कन्या भ्रूण हत्या - माँ के गर्भ में ही अल्ट्रा सोनोग्राफी से लिंग का पता लगा कर लड़की जान, कर गर्भपात करना , या कराना ,कन्या -भ्रूण हत्या (female feticide )कहते है 

तकनिकी उन्नति -

भारत में कन्या भ्रूण हत्या - ९० के दसक में अल्ट्रासोनोग्राफी के अविष्कार ने मेडिकल जगत में एक अच्छी  सफलता हासिल की ,इससे पेट के अंदर की बीमारियों का पता लगाने में ,माँ के गर्भ में पल रहे बच्चे की स्वस्थ का भी पता लगाने में सफलता  प्राप्त की , ये एक गुड न्यूज़ था माँ और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए ,लेकिन ये गुड न्यूज़ थोड़े ही दिनों बाद माँ और बच्चे दोनों के लिए बैड न्यूज़ बन गया ,भारत जैसे देश में जहाँ  पहले ही लिंग भेद था ,जहाँ पहले ही लड़कियों को लड़को की अपेक्षा कम समझा जाता था ,कुछ लालची और स्वार्थी लोग ऐसे दकियानूसी और संकीर्ण मानसिकता वाले लोगो का फयदा उठा कर अपनी जेबे भरने लगे ,वे गर्भ में ही लिंग का पता लगा कर उनका गर्भपात कर अपनी जेबे भरने लगे ,हालाँकि भारत में जन्म से पूर्व लिंग का पता लगाना कानूनन जुर्म है , लेकिन फिर भी ये अपराध हमारे समाज में तेजी से हो रहा है ,भारत में कन्या भ्रूण हत्या भी एक जघन्य अपराध है , लेकिन फिर भी लोग कन्याभ्रून हत्या कर रहे है ,इसके कई कारण है ,

अशिक्षा और अंधविश्वाश -

भारत एक पुरुष प्रधान देश है ,यहाँ लोगो की मान्यता है की लड़के से ही वंश आगे बढेगा ,बेटी तो ब्याह कर दुसरे घर चली जाएगी ,बेटे ही बुढ़ापे में माँ - बाप का सहारा बनेंगे और सेवा करेंगे ,बेटा दहेज़ के रूप में लक्ष्मी लायेगा ,और बेटी को दहेज़ देना पड़ेगा ,बेटा के द्वारा मुखाग्नि देने और अंतिम संस्कार करने से ही उनकी आत्मा को मुक्ति मिलेगी अन्यथा उनकी आत्मा भटकती रहेगी , इसलिए लड़के की  चाह में लोग ऐसे अपराध कर रहे है ,

दहेज़ प्रथा -

भारत में कन्या-भ्रूण हत्या एक बड़ा कारण दहेज़ प्रथा है ,भारत में लडकियों  की शादी में दहेज़ देने की प्रथा बहुत पहले से चली आ रही है ,दहेज़ में मोटा रकम लड़की वालो को लड़के वालो को देना पड़ता है ,जिसके कारण भी कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा मिला है , हलाकि भारत में दहेज़ लेना और दहेज़ देना दोनों ही कानूनन जुर्म है और पकडे जाने पर सजा का प्रावधान है ,इसके वावजूद भी भारत में दहेज़ जैसा दानव विकराल रूप लिए खड़ा है और हमारी बेटियों को जीने नहीं दे रहा है

 आज जब भारत आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है और हमारे देश में शिक्षा का स्तर भी ऊँचा हो रहा है तब ये जुर्म हमारे देश में  फल फूल रहा है ,ये हमारे लिए शर्म की बात ये है की इस जुर्म में हमारे के समाज का पढ़ा - लिखा वर्ग भी शामिल है ,कुछ डॉक्टर ,नर्स ,ग्य्नेकालोजिस्ट,थोड़े पैसो की लालच में इस जुर्म को कर रहे है ,ये हमारे समाज के पढ़े लिखे और प्रतिष्ठित लोग होते है , भारत में कन्या भ्रूण हत्या का एक बड़ा कारण गर्भपात को क़ानूनी मान्यता प्राप्त होना भी है ,

कन्या -भ्रूण हत्या के दुष्परिणाम -

 भविष्य में इस कन्या -भ्रूण हत्या के कई दुष्परिणाम भुगने पड़ सकते है हमें ,हमारे देश में लड़कियों की लगातार घटती संख्या से लड़को और लड़कियों के अनुपात में असंतुलन की स्थिति बन गयी है , जिससे लड़को के विवाह के लिए वधुओ की कमी हो गयी है ,यदि कन्या भ्रूण हत्या इसी तरह होती रही तो अगले बीस साल में विवाह योग्य कन्याओ में भारी कमी आएगी ,जिससे लडकियों को अगवा करना भी इसी से जुडी एक समस्या है ,यौन शोषण और बलात्कार इसके स्वाभाविक परिणाम है ,

कन्या -भ्रूण हत्या पर कानून-

भारत सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए कई कारगर उपाय किये है जिसके तहत 1994 में एक अधिनियम बनाया इस अधिनियम के अनुसार भ्रूण-हत्या को रोकने के लिए कुछ नियम बनाये -
1-गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग पता लगाना कानूनन जुर्म है ,
2-गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जाँच के लिए विज्ञापन देना कानूनन जुर्म है ,
3-बिना पंजीकृत किये अल्ट्रासोनोग्राफी मशीन का उपयोग निषेध है 
4-जाँच केंद के बाहर ये लिखना अनिवार्य है की यहा गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जांच नहीं होता ,गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जांच कराना कानूनन जुर्म है ,
5-कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार से लिंग जांच या किसी भी महिला पर लिंग जाँच करने का दबाव देना कानूनन जुर्म है ,
6-इस एक्ट में महिला और उसके बच्चे की शुरक्षा से सम्बंधित कई बाते शामिल की गयी है ,इस एक्ट के तहत पहली बार पकडे जाने पर तीन साल की कैद और 50 हजार का जुर्माना हो सकता है ,
7-दूसरी बार पकडे जाने पर पांच साल की कैद और 2 लाख रूपये का जुर्माना हो सकता है ,
8-लिंग जांच करने वाले क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन रद्दकर दिया जाता है ,
कन्या भ्रूण हत्या केवल कानूनन अपराध नहीं है ये एक सामाजिक अपराध भी है इसे केवल कानून बना कर रोका जा सकता है ऐसा बिलकुल नहीं है ,इसके लिए हम सब को आगे आना होगा ,कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए  जागरूक करना होगा , अंधविश्वाश को ख़त्म करना होगा , एक शिक्षित समाज का निर्माण करना होगा ,और जो भी कानून बनाये गये है उस पर कड़ाई से पालन करना और करवाना होगा ,तब कही जा कर हम इस जुर्म को रोक पाएंगे ,
                              


 

Comments

  1. Almost every country, no matter how progressive has a history of ill-treating women. In other words, women from all over the world have been rebellious to reach the status they have today. While the western countries are still making progress, third world countries like India still lack behind in Women Empowerment.

    In India, women empowerment is needed more than ever. India is amongst the countries which are not safe for women. There are various reasons for this. Firstly, women in India are in danger of honor killings. Their family thinks its right to take their lives if they bring shame to the reputation of their legacy.

    Moreover, the education and freedom scenario is very regressive here. Women are not allowed to pursue higher education, they are married off early. The men are still dominating women in some regions like it’s the woman’s duty to work for him endlessly. They do not let them go out or have freedom of any kind.

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  2. शिक्षा जीवन जीने का एक अनिवार्य हिस्सा है चाहे वह लड़का हो या लड़की हो। महिला के अधिकारों की रक्षा में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह लिंग के आधार पर भेदभाव को रोकने में भी मदद करती है। शिक्षा महिलाओं को जीवन के मार्ग को चुनने का अधिकार देने का पहला कदम है जिस पर वह आगे बढ़ती है। एक शिक्षित महिला में कौशल, सूचना, प्रतिभा और आत्मविश्वास होता है जो उसे एक बेहतर मां, कर्मचारी और देश का निवासी बनाती है। महिलाएं हमारे देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं। पुरुष और महिलाएं सिक्के के दो पहलूओं की तरह हैं और उन्हें देश के विकास में योगदान करने के समान अवसर की आवश्यकता होती है।

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  3. Beti bachao beti padhao

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