अच्छी जिन्दगी

 

अच्छी जिन्दगी-



प्रिया की आदत है, प्रतिदिन सुबह-सुबह स्नान कर लड्डूगोपाल को पहले भोग लगाती हैं फिर कोई दूसरा काम करती हैं, उस दिन प्रिया की 10 साल की बेटी आयुषी बड़े ध्यान से प्रिया को पूजा करते हुए देख रहीं थीं, आयुषी ने प्रिया से एक सवाल पूछा- मम्मी आप हर दिन लड्डूगोपाल की पूजा क्यों करतीं हो, प्रिया ने हंस कर कहा- मैं हर दिन भगवान को थैंक्स बोलती हूँ, उन्होंने मुझे तुम्हारे जैसी एक प्यारी सी बेटी जो दी है, और इतना बोल कर प्रिया अपनी बेटी को गोद में उठा लेती है, लेकिन आयुषी प्रिया के गोद से निचे उतर गयी और कहा इसमें नयी बात क्या हैं मम्मी, सभी के पास एक प्यारी सी बेटी हैं, हमें और क्या दिया हैं भगवान ने, प्रिया चौंक गयी, प्रिया अपनी बेटी के चेहरे को अपने हाथो से पकड़ कर नजदीक ले कर आई, प्रिया ने देखा उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में आंसू थे, गला भरा हुआ था, प्रिया ने आयुषी को अपने सिने से लगा लिया, और पूछा- किसी ने तुमसे कुछ कहा हैं? तुम्हे क्या चाहिए मुझे बताओ? मैं ला कर दूंगीं, थोड़ी देर चुप रहने के बाद आयुषी बोली- मम्मी अमन बोल रहा था ये उसका घर हैं, हमलोग उसके घर में किराए पर रहते हैं, उसके पास अपनी कार हैं, हमारे पास नहीं, अमन अपनी कार से स्कूल जाता हैं और मैं स्कूल बस से, मैं उसे अपने बर्थडे पर नहीं बुलाऊंगी? प्रिया चुप हो गयी, कुछ सोचने के बाद प्रिया हंस कर बोली- इस बारे में हम लोग शाम को बात करते हैं, अभी स्कूल बस आने वाली है, बस छुट जाएगी, प्रिया आयुषी को स्कूल बस पर बैठा कर घर चली आई, सारा दिन प्रिया के दिमाग में बेटी की बाते घुमती रही, प्रिया का मन बहुत बेचैन हो रहा था, बेटी का बर्थडे था दुसरे दिन इसलिए थैला उठाई और मार्किट चली गयी, सामान ले कर प्रिया धीरे-धीरे घर वापस आ रही थी तभी किसी ने प्रिया को आवाज लगाई, प्रिया रुक गयी, सामने देखा तो बबली सिलबट्टे वाली खड़ी थीं, सालो से ये लोग यहीं रहते हैं प्लास्टिक का बड़ा सा टेंट लगा कर, झोपडीनुमा घर बना लिया था उनलोगों ने,

 प्रणाम प्रिया दीदी बबली ने कहा,

खुश रहो प्रिया हँसते हुए बोली, बबली बोली सुना आप यहीं आ कर रहने लगी,

प्रिया बोली- हाँ बेटी के पढ़ाई के लिए एक जगह तो रुकना ही पड़ेगा, प्रिया नें बबली से पूछा- और सुनाओ बबली तुम कैसी हो? कहाँ रह रही हो आज कल?

बबली बोली- अरे हम तो यहीं रह रहे हैं माँ के साथ सिलबट्टे बनाने में हाथ बटाते हैं,

अच्छा प्रिया नें हँसते हुए कहा, तभी एक छोटी बच्ची लगभग 10 की दौड़ते हुए बबली के पास आ कर रुक जाती हैं, प्रिया ने पूछा- बबली ये तुम्हारी लड़की है,

बबली खुश होते हुए बोली हाँ प्रिया दीदी, आपको याद नहीं आपकी बिटियाँ से केवल चार दिन छोटी हैं, जन्म के समय बीमार पड़ गयी थी बाबु जी ने ही तो पैसे दिए थे, इसके इलाज के लिए,

ओह याद आया पापा ने ही पैसे दिए थे, प्रिया धीरे से बोली, अब कैसी है तुम्हारी बेटी,

बबली हँसते हुए बोली- अब ठीक है ,

प्रिया बोली- ठंढ बहुत है पुरे कपडे पहना कर रखो,

बबली हँसते हुए बोली- इसीलिए रोका था आपको, आपकी बिटियाँ के पुराने कपडे है तो दे देतीं,

प्रिया बोली हाँ क्यों नहीं,  प्रिया थोड़ी देर वही खड़े हो कर बबली से बाते की और घर चली आई, घर आ कर प्रिया ने अपनी बेटी की पुराने स्वेटर और कुछ कपडे एक थैले में पैक किया, दो फ्रोक लायी थीं अपने बेटी के जन्मदिन पर एक रख लिया, कुछ मिठाईयां और चॉकलेट पैक कर लिया, सुबह उठते ही प्रिया अपनी बेटी से बोली- आयुषी तैयार हो जाओ, आज मंदिर जाना है, आज तुम्हारा जन्मदिन हैं न, आयुषी का मन नहीं था मंदिर जाने का लेकिन ओ तैयार हो गयीं, मंदिर से वापस लौटते समय प्रिया सिलबट्टे वालो के बस्ती के पास आ कर रुक गयी, और बबली को आवाज लगाई, बबली बाहर आई उसके साथ उसकी बेटी भी बाहर आ गयी, ठंढ में भी केवल फ्रोक पहने हुए थी, ओ भी मैली हो गयी थी, जहाँ उन लोगो ने अपनी झोपडी बना रखी थी उसके बगल में ढेर सारा कचड़ा फेंका हुआ था, आयुषी बड़े ध्यान से उन लोगो को देख रही थी,

 प्रिया थैला बबली को पकड़ाते हुए बोली, कुछ स्वेटर और कपड़े हैं, प्रिया आयुषी से बोली- मिठाइयाँ और चॉकलेट आंटी को दे दो बेटा, आज मेरी बेटी का जन्मदिन हैं, प्रिया नयी वाली फ्राक बबली को देते हुए बोली ये लो अपनी बेटी के जन्मदिन पर पहना देना, दोनों माँ बेटी ये सारा सामान ले कर बहुत खुश थीं, लेकिन आयुषी के चेहरे पर कुछ और ही भाव थे, प्रिया अपनी बेटी के साथ धीरे-धीरे चलते हुए घर आ जाती हैं, घर आ कर प्रिया ने अपनी बेटी को अपने पास बैठाया और उसके हाथो को अपने हाथो में ले कर बोली- सवाल ये नहीं हैं बेटा की भगवान हमें क्या नहीं दिया, सवाल ये है की भगवान ने हमें क्या दिया, जो हमारे पास है बहुत से से लोगो के पास नहीं हैं, और बहुत कुछ ऐसा है जो दुसरे के पास है, लेकिन हमारे पास नहीं है, लेकिन बेटे एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए जो भी चाहिए ओ सब भगवान नें हमें दिया, इसके लिए हमें भगवान का धन्यवाद करना चाहिए, एक बात याद रखना बेटे जब भी तुम जीवन में खुद को छोटा महसूस करो तो एक बार उन लोगो को देखो जो तुमसे भी निचे हैं देखना बहुत से ऐसे लोग हैं जो तुमसे निचे हैं, और कभी तुम्हें खुद पर घमंड होने लगे की तुम्हारे पास बहुत हैं, तुम सबसे बड़ी हो, तो एक बार उन लोगो को देखना, जो तुमसे बहुत बड़े हैं, उनके पास बहुत कुछ ऐसा हैं जो तुम्हारे पास नहीं हैं, इतना बोल कर प्रिया आयुषी के माथे को चूम लेती है, थोड़ी देर चुप रहने के बाद आयुषी खुश होते हुए बोलती हैं मम्मी मैं अमन को अपनें बर्थडे पार्टी के लिए बुलाने जा रही हूँ, आयुषी दौड़ते हुए अमन के घर चली जाती हैं, प्रिया एक गहरी सांस लेती हैं और रात के पार्टी की तैयारी में लग जाती हैं,

                                                      अल्पना सिंह

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