नेक दिल इन्सान,
एक सेठ जी थे, उनकी मिठाईयों की दुकान थीं, एक दिन एक अधेड़ उम्र का एक आदमी उनसे काम मांगने आया, वह आदमी सेठ जी से बोला- सेठ जी मैंने आपका बहुत नाम सु
ना हैं, आप बहुत अच्छे और नेक दिल इन्सान हैं, आप मुझे अपने मिठाईयों की दुकान पर काम पर रख लिजिए, सेठ जी ने उस आदमी को काम पर रख लिया, कुछ दिनों बाद सेठ जी का मैनेजर उनके पास आया और बोला- जिस आदमी को आपने काम पर रखा है वह आदमी चोर हैं, उसने सी.सी.टी.बी कैमरे में उन्हें दिखाया, वह आदमी चार से पांच मिठाई ले जा रहा था, सेठ जी सोच में पड़ गये, उस आदमी के उम्र का लिहाज करते हुए उन्हें सही रास्ते पर लाने की कोशिश की, सेठ जी ने उस आदमी को अपने पास बुलाया और बोले- चाचा जी आपके घर छोटे-छोटे बच्चे हैं, वह आदमी बोला हां मेरे दो नाती-पोते हैं,
सेठ जी बोले- चाचा जी आज से
मैं आपको प्रतिदिन दुकान बंद होने के बाद 100 रूपये दूंगा, आप घर जाते समय अपने नाती-पोतो के
लिए कुछ ले लिया कीजिये, वह आदमी बहुत खुश हुआ, और सेठ जी का गुणगान करते हुए चला
गया, थोड़े दिन बाद मैनेजर ने सेठ जी से दोबारा उस आदमी की शिकायत की- सेठ जी, उस
आदमी को आपने समझाया उसके बाद भी वह रोज मिठाईयां चुरा कर ले जाता हैं, इतना सुन
कर सेठ जी ने तुरंत ही उस आदमी को अपने पास बुलाया और कहा- चाचा जी मैं आपका हिसाब
कर देता हूँ, कल से आप काम पर नहीं आईयेगा, वह आदमी आश्चर्य से सेठ जी को देखता है
और पूछता हैं क्या बात है सेठ जी आप मुझे नौकरी से क्यों निकल रहे हैं, सेठ जी-
बोले मैं आपकी उम्र का लिहाज करते हुए सामने से ये नहीं बोलना चाहता था की आप चोर
हैं आप मेरी दुकान से मिठाईयां चुरा कर ले जाते हैं, वह आदमी गुस्से से बोला मैं
तो आपको बहुत ही अच्छा और नेक दिल इन्सान समझता था, इतनी बड़ी मिठाई की दूकान हैं
आपकी दूकान के बाहर खड़े भिखारी को आप प्रतिदिन दो मिठाई दे देते हैं, मैंने आपकी
इतनी बड़ी दुकान से चार मिठाईयां क्या ले लीं मैं चोर हो गया, उस पर से मैं यहाँ
काम करता हूँ, ये उम्मीद नहीं थी आपसे, सेठ जी बहुत ही शांति से उस आदमी की बातों
को सुनते है और बोलते हैं- उम्मीद, उम्मीद ही तो हैं चाचा, जब भी मैं दूकान खोलता
हूँ, वह भिखारी इस उम्मीद में दुकान के बाहर आ कर बैठ जाता हैं की, मैं उसे मिठाई
दूंगा, और मैंने हमेशा कोशिश की हैं की मैं उसे कभी नाउम्मीद ना करू, यदि आप भी
दूकान के बहार उस भिखारी के बगल में बैठ जाते तो मैं कभी आपको नाउम्मीद नहीं करता,
परन्तु आप दूकान के अंदर काम करने आये हैं, इसलिए मैंने आपसे उम्मीद लगा रखी हैं
की आप बेहद ईमानदारी और निष्ठा से काम करेंगे ताकि मैं आप सब को समय पर पगार दे
सकू, और एक बात चाचा जी बात चार मिठाईयों की नहीं हैं, यहाँ काम करने वाले सभी
लोगो का अपना परिवार है, बच्चे हैं, यदि सभी लोग हर दिन यहाँ से चार-पांच मिठाई ले
जाने लगेंगे तो मुझे अपनी मिठाई की दुकान बंद करनी पड़ेगी, और फिर मैं एक नेक दिल
इन्सान भी नहीं रह जाऊंगा, क्यों की किसी को देने के लिए मेरे पास कुछ रह नहीं
जायेगा, वह आदमी बहुत सर्मिन्दा हो कर वहाँ से चला गया,
अल्पना सिंह
Wah
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ReplyDeleteAachi sikchha
ReplyDelete🤘👍
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