एहसान
एहसान
अंधेरा हो गया था, घर जाने की जल्दी थी प्रकाश को, प्रकाश ने अपनी कार का दरवाजा खोला ही था की तभी एक लड़की
झट से बिना कुछ बोले कार में बैठ गयीं, अरे-अरे मैडम ये क्या कर रहीं हैं ? कौन
हैं आप? और मेरी कार में क्यों बैठ गयीं, चलिए उतरिये, मुझे घर जाने के लिए देर हो
रही है, लड़की घबरायी सी आवाज में बोली मेरे पीछे गुंडे पड़े हैं प्लीज़ मेरी हेल्प
कीजिये, तभी प्रकाश को चार पांच लोगो के आने की आहट सुनाई पड़ती हैं, प्रकाश ने कार
का सीसा बंद कर दिया लाइट ऑफ कर दी, सांसे रोके थोड़ी देर तक कार में बैठे रहे
दोनों, ऐसा लगा मानो चार से पांच लोग किसी को धुन्ढ़ रहे हैं, थोड़ी देर इधर-उधर
देखनें के बाद वे लोग वहां से चले गयें, पार्किंग एरिया में सन्नाटा था, प्रकाश ने
कार स्टार्ट की और पार्किंग एरिया से बाहर निकल कर मेन रोड पर आ गया, प्रकाश नें
उस लड़की से पूछा आपका क्या नाम हैं? कौन हैं आप ? कहाँ जाना है ? वे लड़के कौन थे
जो आपके पीछे पड़े थे, उस लड़की ने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, उसकीं आँखों से
केवल आंसू टपक रहें थे, ओ केवल रोयें जा रही थीं, प्रकाश ने कहा- यदि आप कुछ नहीं
बतायेंगीं तो मैं आपकी मदद कैसे कर पाऊंगा, ओ लड़की धीरे से बोली मेरा नाम रिया
हैं, रिया बोली – वह अमित और उसके दोस्त थे, अमित मेरे कालेज में मेरे साथ
पढ़ता हैं, और मैं अमित से शादी करना चाहती थीं, इसलिए गहने और पैसे ले कर घर से
भाग आई हूँ, इतना सुनते ही प्रकाश ने एक झटके से कार रोक दी, और रिया को देखनें
लगा, रिया आगे बोली- जब मैं गहनें और पैसे ले कर अमित के पास पहुंची, अमित अपने
दोस्तों से मोबाईल पर बातें कर रहा था, अमित बोल रहा था चिड़ियाँ जाल में फंस गयीं
हैं, थोड़ी देर में जेवर और पैसे ले कर आ ही रहीं होगी, जल्दी आ जाओ तुम सब, सब मिल
कर पार्टी करेंगे, शराब और शबाब सब मिलेगा, इतना बोल कर रिया चुप हो गयीं,
प्रकाश ने पूछा कब भागी थी तुम घर से ?
रिया – सुबह 11 बजे कालेज के लिए बोल कर
निकल गयी,
प्रकाश बोला ओह्ह, तब तो
बहुत देर हो गयी, तुम्हारे घर वाले परेशान हो रहे होंगे, चलो मैं तुम्हें घर छोड़
देता हूँ,
रिया रोने लगी, मैं घर नहीं
जाउंगी, मै घर गयीं तो मेरे पापा मुझे जान से मार डालेंगे.
प्रकाश हंस कर बोला अच्छा
आज तक कितनी बार जान से मारा है तुम्हारे मम्मी पापा ने तुम्हें, बताओगी मुझें,
रिया आश्चर्य से प्रकाश की
ओर देखती हैं,
प्रकाश बोला- बचपन से आज तक
कितनी गलतियाँ की होगी तुमनें, याद करो, और कितनी बार तुम्हें माफ़ कर गले से लगाया
तुम्हारे मम्मी पापा नें ये भी याद करो, देखो रिया इस दूनियाँ में माता पिता ही
हैं जो अपने बच्चों की बड़ी से बड़ी गलती को माफ़ कर उन्हें अपने सीनें से लगा लेते
हैं, इस लिए तो माँ-बाप को भगवान का दूसरा रूप मानते हैं, गलती की हैं तो गुस्सा करेंगे
ही, हो सकता हैं दो-चार थप्पड़ भी लगा दें, लेकिन जान से मारेंगे ये बात अपने दिमाग
से निकाल दो, गुस्सा करेंगे तो माफ़ी मांग लेना, जरुरत पड़े तो उनके पैर पकड़ कर माफ़ी मांग लेना, तुम्हारे मम्मी पापा तुम्हें जरुर माफ़ कर देंगे, ये उनकी दुआओं का ही
असर है की आज तुम उन राक्षसों के चंगुल से सही सलामत बच कर निकल पाई हो, नहीं तो
कल के अखबार की सुर्खियाँ बन गयी होती तुम, चलो जल्दी से घर का पता बताओ मैं
तुम्हें घर छोड़ देता हूँ बहुत देर हो गयी हैं, परेशान हो रहें होंगे तुम्हारे
मम्मी पापा, रिया ने घर का पता बताया, प्रकाश ने कार रिया के घर के आगे रोक दी, रिया धीरे-धीरे चलते
हुए दरवाजे तक पहुँची, डरते हुए डोरवेल बजाई, रिया की मम्मी ने दरवाजा खोला,
रिया को देख कर गुस्से से बोली कहा गयी थीं?
टाइम देखा हैं तुमनें, सुबह 11 बजे घर से गयी थी, रात के 8 बज गये, ये समय होता हैं घर आने का और मोबाईल
बंद क्यों है तुम्हारा, रिया कुछ नहीं बोली, मम्मी की आवाज सुन कर रिया के सब्र का
बांध टूट गया, ओ अपनी मम्मी के सिने से लग कर फुट-फुट कर रोने लगी, अरे क्या हुआ
क्यों रो रही हैं कुछ बोलेगी भी?
तभी प्रकाश धीरे से बोला
रास्ता भूल गयी थी अपने घर का, रास्ता भूल गयी थी ; रिया की मम्मी बोली, सामने एक
अनजान शख्स को देख कर सकपका गयी, रिया के रोने की आवाज सुन कर रिया के भईया भाभी
पापा सभी हॉल में आ गये,
रिया के भईया ने पूछा मोबाईल कहा है तुम्हारा,
रिया की भाभी बोली- मैं तो
कब से बोल रही हूँ, की रिया का मोबाईल घर पर छुट गया हैं,
रिया के भईया बोले- ओह्ह, चलो
कोई बात नहीं, घर तो आ गयी न, इतना बोल कर रिया के भईया हंसने लगे,
रिया कुछ नहीं बोली रोते
हुए, अपने कमरे में चली गई, रिया के पीछे-पीछे उसकी मम्मी, भईया भाभी भी उसके कमरे
में चले गये, प्रकाश की ओर किसी का ध्यान नहीं था, प्रकाश मन ही मन सोच रहा था चलो
अच्छा हुआ यहाँ किसी को कुछ पता नहीं चला, प्रकाश मन ही मन भगवान को धन्यवाद करता
हुआ वापस लौटने लगा तभी उसके कानों में एक कडकती हुई आवाज सुनाई दी, रुको जेंटल
मैंन- प्रकाश एक दम से रुक गया, उसने पीछे मुड कर देखा सामने रिया के पिता जी खड़े
थे, उनके हाथो में एक कागज था, उन्होंने कहा- मैं नहीं जानता की तुम कौन हो, लेकिन
मेरे लिए तुम किसी फरिश्ते से कम नहीं हो,
प्रकाश आश्चर्य से रिया के
पिता जी को देखता हैं, रिया के पिता जी बोले मुझे आज दोपहर में ही पता चल गया था की
मेरी बेटी घर से भाग गयी है, आज दोपहर में किसी काम से रिया के कमरे में गया तभी
मुझे ये ख़त मिल गया था, मैं किसी को बिना बताये रिया को धुन्ढ़ रहा था, जेंटल मैंन मैंने
रिया को तुम्हारी कार में बैठे देखा, मैं दौड़ कर वहां पंहुचा, और मैंने तुम्हारे
और रिया की सारी बाते सुन ली थी मैं तुम दोनों के पीछे ही था, तुम नहीं जानते की
आज तुमने मेरे उपर कितना बड़ा एहसान किया हैं तुमने केवल मेरे घर की खुशियाँ ही
नहीं बल्कि मेरे घर की इज्जत मान सम्मान सब कुछ बचाया है, इतना बोलते बोलते रिया
के पिता जी का गला भर आया उनके आँखों में आंसू आ गये, वे दोनों हाथ जोड़ कर प्रकाश
का धन्यवाद कर रहे थें, प्रकाश ने उनके हाथो को अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया और बोला
ये आप क्या कर रहे हैं अंकल, रिया तो मेरी छोटी बहन जैसी हैं, इतना कहते कहते
प्रकाश के आँखों में भी आंसू आ गये, प्रकाश बोला मैं घर चलता हूँ मुझे घर जाने के
लिए देर हो रहीं हैं,
Bahut hi sundar kahani hai
ReplyDeletethank you so much
DeleteVery good story
ReplyDeleteThanks dear
DeleteBhut hi achi story h ... Bhgwan aapko success de ....
ReplyDeleteThank you so much
Deleteheart Touching story very nice <3
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद जी
DeleteNice story
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteThank you so much
DeleteNice story
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