अच्छी बहु, हिंदी कहानी

 

अच्छी बहु 

मोबाईल की घंटी बजी, हेल्लो- मिन्नी,

 हल्लो, मम्मी बोलिए

मिन्नी मामा ने आँखों का आपरेशन कराया हैं, मुझे उनसे मिलने जाना था, तुम ले चलोगी क्या

मम्मी बच्चे स्कूल से आ जाते हैं तब आती हूँ मैं,

मैं सोचने लगी, एक ही शहर में रहते हुए मैं कितने दिनों से मामा जी के घर नहीं गयी, हलाकि मामा-मामी से मेरी मुलाकात मम्मी के घर पर हो जाती थीं, शायद इसलिए मैं उनके घर नहीं जा पाई, मेरे मामा जी की एक लड़की अपराजिता दी, जो मुझसे उम्र में बड़ी थी, उनकी शादी में ही गयी थी, उसके बाद मुझे मामा जी के घर जाने का मौका नहीं मिला, क्यों की मेरी भी शादी हो गयी, और अपनी नयी जिंदगी में व्यस्त हो गयी, कभी-कभी मम्मी के घर पर ही मुलाकात हो जाती थी, जब मैं मम्मी के घर आती थी, मामा जी का एक लड़का था अमितेश, मुझसे छोटा था, उसकी भी शादी हो गयी थीं, मैं उसके शादी में नहीं जा पाई थी, दो बच्चे भि हो गये थे अमितेश के, मैं मन ही मन बहुत खुश थी, चलो मामा जी को देख भी लुंगी और सब से मिलना भी हो जायेया,

मैंने कुछ चाकलेट और मिठाईयां पैक की, एक अच्छी सी साडी गिफ्ट पैक कराया, पहली बार अमितेश की वाइफ से मिल रही थी, मुंह दिखाई की रस्म तो करनी पड़ेगी, उस पर से वह मुझसे छोटी थी,

शाम को मैं और मम्मी मामा जी के घर पहुंचे, मुझे वहां देख कर मामा जी और मामी जी दोनों बहुत खुश हुए, मेरे मामा जी रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर हैं, चेहरे पर उम्र की सफेदी तो थी, लेकिन शारीर से स्वस्थ दिख रहे थे, उनसे ज्यादा बीमार मामी जी लग रही थीं, ठीक से चल भी नहीं पा रही थीं, अमितेश उन्हें सहारा दे कर लेकर आया और सोफे बैठा देता है,

अरे मामी आपको क्या हुआ, मामा जी बोले- तुम्हारी मामी का सुगर और थायरायड दोनों बढ़ा हुआ हैं, आज ही डाक्टर को दिखा कर लाये हैं,

ओह्ह मैंने कहा- अपना ध्यान रखा कीजिये मामी जी, मेरी नजरे वहां रखे दो बेग पर पड़ी, मैंने पूछा कही जा रहे है क्या आप लोग?

तभी अमितेश हँसते हुए कमरे में आता है और साथ में उसकी पत्नी काजल हाथो में चाय नास्ता पानी लिए हुए, “जा नहीं रहे है दीदी आ रहे है काजल के मायके से, काजल की छोटी बहन की शादी थी,”

मैंने हँसते हुए कहा- मतलब अपने ससुराल से,

 इतना सुन कर अमितेश खिल खिला कर हंस पड़ा,

मामी बोली- डेढ़ साल पर गयी थी अपने मायके, मैंने कहा था 10-15 दिन रुक कर आये, लेकिन लड़की की बिदाई की और चले आये दोनों,

मैं फिरकी लेते हुए बोली- “अमितेश ले आया होगा, इसे मन थोड़े लगेगा अपनी बीबी के बिना”

मेरी बाते सुन कर अमितेश झेप गया, मैं मामी-मामा और मम्मी सभी हंसने लगे, अमितेश सोफे से उठा और बेग को दुसरे कमरे में रखने लगा,

अमितेश वापस आ कर सोफे पर बैठे हुए बोला- अरे दीदी मैं ससुराल से क्यों आना चाहूँगा वंहा मैं राजा-महाराजा के तरह रह रहा था, बस इशारे करो सब हाजिर, सासु माँ, ससुर जी,साला-साली सब आगे पीछे,

यहाँ देखो जब से आया हूँ काम ही काम,

मामी जी बोली- “देख जरा चार दिन ससुराल क्या गया सासु माँ के गुण गाने लगा,” सभी लोग ठहाके लगा कर हंसने लगे,

काजल बोली- जिस काम से हम लोग गये थे वह सही से संम्पन हो गया, मम्मी-पापा भाई सब ठीक है इसलिए हमलोग चले आये, यहाँ मम्मी जी की तबियत ठीक नहीं हैं, समय पर नास्ता खाना दवा सब चाहिए, यहाँ मेरी ज्यादा जरुरत थी,

मैंने कहा – हां बात तो तुम ठीक कह रही हो, लेकिन आज काल की बहुए ये सब कहा सोचती है वे तो ससुराल से भागने का मौका ढूंढती हैं बस,

काजल बोली- आप ऐसा क्यों सोचती है दीदी यह मेरा घर है,

मैंने हंस कर कहा- बिलकुल

मामा जी और मामी जी भी काजल की तारीफ कर रहे थे,

मैंने चारो तरफ नजरे घुमा कर देखा घर के दरो दीवार से ले कर सभी के खिले चेहरे ये बता रहे थे की काजल ने सभी को अच्छे से सम्हाल रखा हैं 

हँसते खिलखिलाते दो घंटे कैसे गुजर गया पता भी नहीं चला, दो घंटे रुक कर मैं और मम्मी अपने घर के लिए निकल गये, मम्मी काजल की तारीफ करते नहीं थक रही थी, और साथ में ढेरो दुआए भी,

“मैं मन हि मन सोच रही थी बुजुर्गो ने ठीक ही कहा हैं एक अच्छे संस्कारो वाली लड़की आपके घर बहू बन कर आ जाती है तो घर को स्वर्ग बना देती हैं, ये मामा-मामी की बीमारियों वाले कष्ट तो दूर नहीं कर सकती लेकिन एक अच्छी बहू के आ जाने से उनका बुढ़ापा जरुर आसन हो गया,”

                                                                 अल्पना सिंह

 

 

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