आत्महत्या (SUICIDE)
आत्महत्या (SUICIDE)
एक कहानी दो औरतो की, दोनों के जीवन में एक ही
घटना एक साथ घटी, दोनों का फैसला बिलकुल एक सा, और अंजाम ?
साक्षी अब जीना नहीं चाहती
थीं, ख़तम कर देना चाहती थीं इस जीवन को, दिमाग में केवल यही बात घूम रही थी, फैसला
हो चूका था, बस अंजाम कैसे देना है यही सोच रही थीं, चारो तरफ अँधेरा ही अँधेरा था,
अपने ही विचारो में खोयी साक्षी फर्स पर ही बैठी न जाने कब से फर्स को ही घूरे जा
रहीं थी, पति की बेवफाई ने साक्षी को अंदर तक तोड़ दिया था, उसकी कही बाते दिल और
दिमाग में शूल की तरह चुभ रहे थे, इस बार तो आनंद ने हद ही कर दी, अब जीने का कोई
मतलब नहीं हैं, न रहूंगी और न ये सब देखूंगी, दोनों बच्चे गहरी नींद में सो रहे
थे, एक नजर उनको देखा, उन पर प्यार से हाथ फेरा, आँखों में आंसू का एक कतरा भी
नहीं था, उसने मन ही मन एक दृढ निश्चय कर लिया था, रात के दो बज रहे थे, चारो तरफ
गहरा सन्नाटा था, साक्षी धीरे से उठी और दुसरे कमरे में चली गयी,
गले में फंदा डालने ही वाली
थी की कुछ धम्म से गिरने की आवाज आई, साक्षी का दो साल का बेटा जोर-जोर से रोने
लगता हैं, तभी साक्षी की 6 साल की बेटी चिल्लाती हैं मम्मी बाबु बेड से गिर गया हैं,
आप कहा हो, देखो न बाबु कितना रो रहा है,
साक्षी- बाबु बेड से निचे
गिर गया है? दौड़ कर दुसरे रूम में आई और बेटे को गोद में उठा लेती हैं और अपने सिने से लगा
लेती हैं,
बेटी रोते हुए बोलती है- आप
कहाँ चली गयी थी मम्मी, मुझे बहुत डर लग रहा था, आप हमलोगों को अकेले छोड़ कर नहीं
जाया करो, मुझे अकेले बहुत डर लगता है,
साक्षी अपने दोनों बच्चो को
अपनी सिने से चिपका लेती हैं, और रोने लगती है, दोनों बच्चे साक्षी के सिने से
चिपक कर सो जाते हैं, रोते रोते साक्षी भी कब सो गयी उसे पता भी नहीं चला,
साक्षी की नींद टूटी मीनू
की आवाज सुन कर (मीनू साक्षी के घर की कामवाली बाई) अरे मैडम जी आपने बाहर का गेट
खुला क्यों छोड़ दिया है, क्या बात है आप अभी तक सो रही है? तबियत ठीक नहीं है क्या?
साक्षी हडबडा कर उठती है,
तबियत? अपने आप को संयमित करते हुए बोलती
है- हां थोड़ी तबियत खराब हैं, घड़ी में टाइम देखा तो आठ बज गये थे, ऐसे तुझे इतनी
देर कहा हो गयी,
मीनू थोड़ा रूहासे स्वर में
बोली- अरे मैडम जी चौथी गली में जो शर्मा जी रहते है न उनकी बहू ने फांसी लगा कर
आत्म हत्या कर ली, दो बच्चे है उसके एक 10 साल की बेटी और 6 साल का बेटा,
साक्षी का दिल धक् से रह
गया, अपनी साड़ी ठीक करते हुए बोली कब हुआ ये?
मीनू बोली रात में ही हुआ
है मैडम जी, सुना उसके मरद ने दूसरी औरत रख ली है, मुआ अभी तक आया भी नहीं है,
अचानक से साक्षी का रुख
कड़वा हो गया, ठीक ही किया, आये ना आये क्या फर्क पड़ता है, अब देखने थोड़े आ रही है,
मीनू ये सुन साक्षी के बिलकुल पास आ जाती है और धीरे से कहती है- छोटा
मुहं बड़ी बात मैडम जी, अनपढ़ गवार हूँ, घर घर झाडू पोछा करके पेट पालती हूँ और आप लोग
पढ़े लिखे लोग हैं, फिर भी आपसे उमर में बड़ी हूँ, जीवन का तजुर्बा आपसे थोड़ा ज्यादा
हैं, आज कल आपके और साहब के बिच कुछ ठीक नहीं चल रहा हैं, मुहं बंद रखती हूँ लेकिन
आँख कान तो खुले हैं मेरे, औरत हूँ औरत का दर्द भी समझती हूँ, इसलिए आज आपसे एक
बात कहना चाहती हूँ- आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता, जीवन में
उरार-चढ़ाव आते रहते हैं, इसका ये मतलब नहीं की आप अपनी जान हि दे दें, मैडम जी मरद
जात कभी-कभी अपना रास्ता भटक जाता हैं, लेकिन अंत में लौट कर अपने घर में ही आता
है, और ना भी आये क्या फर्क पड़ता है, आप किसके लिए मरना चाहती है जो आपसे प्यार
नहीं करता जिसे आपकी परवाह नहीं, लेकिन उसके लिए जी नहीं सकती जो आपसे प्यार करता
है, जिसे आपकी जरुरत है, आपके माँ बाप जो आपसे बहुत प्यार करते है, आपके बच्चे
जिन्हें आपकी जरुरत है,
मीनू की बाते सुन कर साक्षी
के आँखों में आंसू आ जाते है, साक्षी मीनू के सिने लग कर रोने लगती है, मीनू
साक्षी के कंधे को प्यार से सहलाते हुए सोफे पर बैठाती है, और बोलती है बुरा न
माने तो एक बात बोलू मैडम जी खाली दिमाग सैतान का घर होता है, घर में बैठे-बैठे
तरह-तरह की फालतू बाते सोचती रहती हैं आप, मैं आपके घर काम करने के बाद 9 से 3 स्कूल में जाती हूँ, दाई का
काम करने के लिए, वहां की हेड मैडम बहुत अच्छी है,आप तो पढ़ी-लिखी है यदि बोलो तो मैं
वहां आपके पढ़ाने के लिए बात करू, आपका समय भी कट जाएगा और मन भी लगा रहेगा, साक्षी
चुप बैठी रहती है, कोई जवाब न पा कर मीनू बोलती है- आपके लिए चाय बना कर लाती हूँ,
और मीनू अपने काम में लग गयी,
काम ख़तम कर मीनू- जा रही हूँ
मैडम जी,
साक्षी- रुको, (मीनू रुक
जाती ) मीनू तुम अपने स्कूल में बात करो, हो सके तो प्रिंसिपल मैडम का नंबर ले
आना,
मीनू के चेहरे पर प्रसन्नता
के भाव उभर आये, मीनू लौट कर साक्षी के पास आ कर बैठ गयी, और धीरे से बोली- मैडम
जी मैंने दुसरे कमरे में बेड पर स्टूल रखा हुआ देखा, ऐसा आप कभी नहीं करना, ये घर
आपका है, इसे बचाने के लिए आपको हर संभव कोशिश करनी चाहिए, बिना लड़े ही हार मान
लिया आपने, ऐसे आपकी मर्जी आप इस घर में नहीं रहना चाहती तब भी कई रास्ते खुले है कोर्ट-कचहरी
इतना बोल कर मीनू थोड़ी देर चुप हो जाती है,
मीनू साक्षी के हाथो को
अपने हाथो में लेते हुए बोलती हैं- मैडम जी एक सिनेमा में एक हीरो ने क्या डायलोग
कहा है- लड़ाईयाँ हमेशा लड़ कर जीती जाती है, मर कर नहीं, क्यों की मुर्दे कभी लड़ा
नहीं करते, मीनू ऐसे हाथ नचा कर बोल रही थी जिसे देख कर साक्षी को हंसी आ गयी,
मीनू की बाते सुन कर साक्षी का मन हल्का हो गया था और आशा की एक किरण भी दिखाई दी
थी उसे, वह अपने सर्टिफिकेट निकलने लगी,
(पति-पत्नी का रिश्ता बहुत ही प्यारा होता है, भगवन से यही प्रार्थना करती हूँ की किसी भी पति पत्नी के जीवन में ऐसा कोई मोड़ ना आये, और यदि आ भी जाये तो आत्महत्या समाधान नहीं होता, या जीवन के किसी भी समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं हो सकता,
अल्पना सिंह
Bhut hi achi kahani
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
DeleteNice story 👏
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