अभिषेक ,हिंदी कहानी
अभिषेक
मैं मंदिर के बहार हाथो में जल लिए खड़ी थीं, तभी
एक अधेड़ उम्र की औरत जो अपने हाथो में एक लोटा जल लिए हुए थी, आ कर मेरे बगल में
खड़ी हो गयी, मंदिर के अंदर बहुत भीड़ थी किसी के घर लड़का हुआ था, वे लोग दूध से
अभिषेक कर रहे थे, थोड़ी देर खड़े रहने के बाद उस औरत ने कहा- “हे भोले नाथ मेरी बहु
को एक बेटा दे दो तो मैं भी आपकी दूध से अभिषेक करूंगी, “
मैंने उस औरत की ओर मुड कर
देखा और पूछा- “आपकी बहु को बच्चे नहीं है ?”
वह औरत बोली- “हैं ना दो
लड़कियां है, लेकिन लड़का नहीं है, एक लड़का दे देते भोलेनाथ, तो मेरा सब कष्ट दूर हो
जाता, “
उनकी बात सुन कर मैं थोड़ी देर
चुप हो गयी फिर धीरे से बोली- “माता जी भोले नाथ ना तो दूध पीते हैं और ना ही जल,
आप स्वयं देख लीजिये, वे केवल आस्था और विश्वाश के भूखे होते है, लेकिन एक सत्य ये
भी है की आप चाहे कितना भी दूध से या पानी से नहला दीजिये भोले नाथ आपको छोटा सा
भी पाप करने की छुट नहीं देने वाले, हर पाप के लिए दंड अवश्य देते हैं,
वह औरत मेरी तरफ घुर कर
देखने लगी और बोली- “मतलब तुम कहना क्या चाहती हो मैंने पाप किया हैं,
मैंने कहा- “माता जी ये तो
आपको स्वयं विचार करना है, आप पाप कर रही है या नहीं ?”
उस औरत ने कह- “मतलब ?”
मैंने कहा- “मतलब आज लोग
कहते है की 21वीं सदी में लड़के-लड़की में कोई फर्क नहीं है, लेकिन माता जी मेरा
मानना है की हम जिस दरबार में खड़े हैं उनकी नजर में प्रारंभ काल से ही सभी लोग एक
समान है, लड़का-लड़की, औरत-मर्द,आमिर-गरीब, सभी को एक समान दृष्टी से देखते हैं भोले
नाथ, और आप उन्ही के प्रांगन में खड़े हो कर उनके बच्चो में भेद कर रहीं है, सबसे बड़ा
पाप कमजोर, निसहाय, निरपराध, लोगो का शोषण करना होता हैं, और सबसे बड़ा पुन्य गरीब,
कमजोर, निसहाय, निरपराध लोगो की सहायता करना होता है, माता जी आप सोच रही है की
आपने किसे कमजोर निसहाय को सताया है ? है की नहीं यही सोच रही है न आप ?”
वह औरत आश्चर्य से मुझे देख
रही थी,
माता जी आपकी बहु को दो
लड़कियां हैं एक लड़का हो जायेगा तो आपके सारे कष्ट दूर हो जायेंगे ? आपके इस कथन से
ही मुझे समझ आ गया है की कष्ट आपके दूर होंगे या आपकी बहु और उन दो मासूम बच्चियों
के ?
माता जी आप अपने इस विचार
से अपनी बहु और पोतियों को बहुत कष्ट दे रहीं हैं, और अपने भोले नाथ के नजर में
जाने अनजाने अपराध कर रही हैं, और इसका दंड तो भोलेनाथ आपको अवश्य देंगे, आप भी एक
औरत हैं, मेरी इस बात पर विचार अवश्य कीजियेगा, इतना बोल कर मैंने पंडित जी से
कहा- “मुझे थोड़ी जगा दे दीजिये,” मैंने भोले नाथ पर जल चढाया और अपने घर की ओर चल
दी, और मैं मन ही मन सोच रही थीं, एक औरत हो कर भी एक औरत की तकलीफ नहीं समझती ,
ये जानते हुए भी की उसके बस में कुछ भी नहीं, लड़का या लड़की ?
अल्पना सिंह
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