एक पड़ोसी ऐसे भी,हिंदी कहानी

 

एक पड़ोसी ऐसे भी

आज कल मिसेज शुक्ला से बहुत पट रहा है तुम्हारा l आज फिर वे लोग हमारे साथ ही चल रहे हैं l

रमण ने हँसते हुए कहा l ड्राइव करने में दिक्कत होती है यार l

जया बोली “अरे आप भी ना सारे लोग साथ चलते हैं तो अच्छा लगता हैं और बच्चे भी खुश रहते हैं “ रमन कुछ नहीं बोला चुप-चाप तैयार होने लगा,

ऐसा नहीं हैं की शुक्ला जी के पास अपनी कार नहीं थीं, थीं लेकिन जब भी दोनों को मार्केट जाना होता तो मिसेज शुक्ला जया के कार से ही जातीं, जया और मिसेज शुक्ला पडोसी थे कई बार उनदोनों को एक ही घर से इन्विटेसन मिलता था, तो शुक्ला जी का परिवार जया के ही कार से जाता था l चार की शीट पर सात बैठ कर जाते थे l शुक्ला जी तब एक जुमला बोलते थे “ थोडा तकलीफ हुआ तो क्या हुआ जाना तो हमे एक ही जगह था, इससे एक कार के पेट्रोल का पैसा तो बच गया, हैं की नहीं रमन भाई “ जया हमेशा उनकी हाँ में हाँ मिलाती थीं और रमण हँस कर रह जाता था, बेटी को तैयार करो स्कूल भेजो, रमण के लिए नास्ता बनाओ, लंच बनाओ जया को घर के कामों से फुर्सत नहीं मिलता था, लेकिन मिसेज शुक्ला का काम कैसे ख़तम हो जाता है पता ही नहीं l सारा दिन मिसेज शुक्ला जया के घर पर ही रहतीं थीं l इसलिए मिसेज शुक्ला को जया के घर की हर बात पता होती थीं l जया की बेटी और मिसेज शुक्ला के बच्चे सब एक साथ खेलते थे, इसतरह दोनों एक अच्छे पड़ोसी के तरह आपस में घुल-मिल कर रहते थे l एक दिन दोनों को एक ही शादी का इन्विटेसन आया, और उस दिन जया की कार सर्विसिंग के लिए गयी थी l जया ने अंदाजा लगा लिया था की हमें मिसेज शुक्ला के कार से ही जाना है, जया ने अपने मन से ही अंदाजा लगा लिया था l जैसा की मिसेज शुक्ला लगा लेती थी कही भी जाना होता तो पुरे परिवार तैयार हो कर पहले ही जाया के घर चले आते थे, इसलिए जया भी जल्दी जल्दी तैयार हो गयी, बेटी को भी तैयार किया और रमण का इन्तजार करने लगी l रमण जैसे ही घर आया जया गुस्से से बोली- “इतनी देर क्यों लगा दी पता था न की हमें पार्टी में जाना है l”

रमण बोला- “हां भई पता हैं अभी 6 ही बजे हैं, तुम कपड़े निकालो मैं जल्दी से तैयार हो जाता हूँ “इतना बोल कर रमण बाथरूम में चला गया, जया ने भी रमण के कपडे निकाल कर बेड पर रखा और चल दी मिसेज शुक्ल के घर , मिसेज शुक्ला का ही कहना था की “ देखिये हम सब पहले ही तैयार हो कर चले आये ताकि आपलोगों को इन्तजार ना करना पड़े आखिर मैनर्स भी कोई चीज होती है “ हालाँकि उनका भी कोई कमिटमेंट नहीं होता था वे भी पहले ही तैयार हो कर चले आते थे जया के घर l इसलिए जया ने भी मैनर्स का ध्यान रखा l तैयार हो कर चल दी मिसेज शुक्ला के घर l दरवाजे पर पहुंची तो जया ने सुना मिसेज शुक्ला बोल रही थीं “ देखो तो जरा मिसेज सिंह को पता था की आज शादी में जाना हैं फिर भी आज ही कार सर्विसिंग के लिए दे दी l दो दिन पहले नहीं दे सकती थीं क्या ? अब बताओ तो थोडा चार की शीट पर सात लोग कैसे बैठ कर जायेंगे, और दिमाग नहीं है क्या मिसेज सिंह के पास कार पेट्रोल से चलती है पानी से नहीं “ मिसेज शुक्ला की ये बाते सुन कर जया उल्टे पाँव घर वापस लौट आई, घर पर आ कर देखा तो एक कार खड़ी थी दरवाजे पर, और रमण चहलकदमी कर रहा था इधर-उधर, आते ही रमण बोला- “कहाँ चली गयी थी, अभी तो गुस्सा कर रही थी, अभी देर नहीं हो रहा है क्या “

रमण की बाते सुन कर जया की आँखों में आंसू आ गये, जया ने मिसेज शुक्ला की सारी बाते रमण को बताई और बोली- “हमारी कार पानी से चलती है क्या ?”

रमण जया के आंसू पोछते हुए बोला-“ एक बार मुझसे पूछना तो चाहिए था न पगली, अब जाओ अपना चेहरा ठीक करो आंसू से तुम्हारा सारा मेकअप खराब हो गया है “

जया ने अपने चेहरे को ठीक किया और दोनों पहुँच गये पार्टी में, वहां पहुँच कर जया ने देखा मिसेज शुक्ला पुरे परिवार के साथ पहले ही वहां पहुँच चूँकि थीं, जया को देखते ही मिसेज शर्मा जया के पास आई और बोली- “ अरे मिसेज सिंह आप आ गयी, मैंने मिसेज शुक्ला से पूछा तो उन्होंने बताया आप की कार सर्विसिंग के लिए गयी है, इसलिए आप नहीं आएँगी,” जया समझ रही थी की मिसेज शर्मा क्या कहना चाहती हैं, लेकिन जया एक फीकी मुस्कान के साथ आगे बढ़ गयी, तभी मिसेज शुक्ला जया को एक कोने में ले गयी और गुस्से से बोली- “ अरे मिसेज सिंह मैं तो आपको बहुत भली औरत समझती थी, लेकिन आप तो ना जाने मेरे बारे में क्या सोचती है, कार का अर्रेंज्मेंट हो गया है, ये बात आपने मुझसे छुपायी, आप मुझे ऐरा-गैरा समझती हैं क्या ?” इतना बोल कर पैर पटकती हुई मिसेज शुक्ला वहां से चली गयी,

जया तो मिसेज शुक्ला की बाते सुन भचौंकी रह गयी, और मन ही मन सोच रही थी कैसे-कैसे ढीठ लोग होते हैं दुनियाँ में, खैर पार्टी ख़तम हुई, जया के अंदर अभी भी गुस्सा भरा हुआ था, जया कार में बैठते ही बोली- “ मुझे तो पता ही नहीं रहता हैं कुछ भी “

रमण हँसते हुए बोला- “क्या पता नहीं हैं तुम्हे, यही की तुम्हारी कार भी पेट्रोल से चलती है पानी से नहीं” इतना बोल कर रमण हँसने लगा, रमण का हँसना जया के गुस्से में आग में घी डालने का काम किया,

जया गुस्से से बोली-“ यदि तुमने सुबह ही मुझे बता दिया होता तो “ रमण बिच में ही बात काटते हुए बोला- “ तो क्या होता मिसेज शुक्ला का, एक दिन के पेट्रोल का पैसा और बच जाता, अरे यार मिसेज शुक्ला को एक दिन तो पेट्रोल पर पैसे खर्च करने दो “ इतना बोल कर रमण खिलखिला कर हँसने लगा,

जया का चेहरा अभी भी गुस्से से लाल था, जया ने खिड़की की ओर अपना चेहरा मोड़ लिया और बाहर की तरफ देखने लगी, थोड़ी दूर चलने पर रमण ने अचानक से गाड़ी सड़क के किनारे रोक दी, जया आश्चर्य से रमण की ओर देखने लगी, रमण ने बड़े प्यार से जया के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए बोला- “ तुम इन सारी बातों को नहीं समझती हो इसीलिए तो इन सब से अलग हो, सबसे बेस्ट, रमण की बाते सुन कर जया का गुस्सा छूमंतर हो गया और मुस्कुराने लगी,

                                                       अल्पना सिंह

 

 

 

 

 

 

 

 

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