अन्धविश्वास,हिंदी कहानी
अन्धविश्वास
देखो न मम्मी कहाँ से ये
कछुआ आ गया हमारे घर में, दोनों बच्चे उस कछुए को देख कर ख़ुशी से उछल पड़े,
आयुषी बोली- “अरे मम्मी
देखो ये कितना छोटा और प्यारा सा हैं, हम इसे पालतू बना लेते हैं,”
यश दौड़ कर गया और एक जार ले
आया, उस जार में पानी भर दिया, थोड़ी मिटटी डाल कर उसमे कछुए को डाल दिया, शालनी और
जय भी उस छोटे से कछुए को देख कर आश्चर्य चकित थी, पता नहीं ये छोटा सा कछुआ कहाँ
से आ गया हमारे घर में,
शालिनी और जय ने अभी
नया-नया घर बनया था, गृहप्रवेश में आये रिश्तेदार भी अभी तक नहीं गये थे, सभी
तरह-तरह की बाते कर रहे थे, कछुए का घर में आना लक्ष्मी का संकेत है, कछुआ घर में
रखना चाहिए इससे घर में लक्ष्मी आती है, हालाकिं शालिनी इन बातो पर विश्वास नहीं
करती थीं लेकिन रिश्तेदारों की बातों से शालनी को भी अन्धविश्वास ने घेर लिया था,
अगले दस दिनों तक घर में मेहमानों का आना जाना लगा रहा, घर के साथ-साथ वह छोटा सा
कछुआ भी आकर्षण का केन्र्द बना हुआ था, शालनी भी बहुत व्यस्त थी, लेकिन इतनी
वयस्ता में भी शालनी उस कछुए को खाना देना नहीं भूलती, सुबह दोपहर शाम तीनों समय,
जब भी शालिनी कछुए को खाना देने जाती कछुए की एक्टिविटी को बहुत गौर से देख रही
थीं, जब भी कोई जार के पास जाता वह छोटा सा कछुआ जार के तल में मिट्टी में छुप
जाता था, और जैसे ही उसे लगता था, की आस-पास कोई नहीं है, तो अपना सर बाहर निकाल
कर छत की और देखता रहता, मानो कह रहा हो, ये मैं किस कैद में फंस गया हूँ भगवान् मुझे
आजादी दिलाओ, शालिनी ने अपने मन की बात अपने पति जय को बताई, जय के बोलने से पहले
ही यश बोल पड़ा मम्मी तुम भी ना, ना जाने क्या क्या सोचती रहती हो, हम इस कछुए को
पालेंगे तो बस पालेंगे, शालनी बड़े प्यार से अपने दोनों बच्चो को उस जार के पास ले
गयी और बोली-“ देखो इसे जरा, इस छोटी सी जगह में हमलोगों ने इसे कैद कर लिया है,
ना तो ये अपनी मर्जी से कहीं जा सकता है और ना ही अपने पसंद का खाना खा सकता है,
तुम्हें भी कोई ऐसे ही बंद कर के रखेगा तो, ना तुम अपनी पसंद का खाना खा सकते हो
और ना ही अपनी मर्जी से कहीं आ-जा सकते हो, तो सोचो तुम्हें कैसा लगेगा,यश बड़े
मासूमियत से शालिनी की ओर देख रहा था, यश और आयुषी दोनों अपनी मम्मी से चिपक गये
जैसे मम्मी से दूर जाने के कल्पना से ही डर गये हो,
सुबह-सुबह शालनी ने जय को उठाया और बोली- “फटाफट तैयार हो जाईये,”
जय- “इतनी सुबह-सुबह कहाँ
जाना हैं”
यश और आयुषी दोनों एक साथ
बोले-“ बड़े वाली नदी जाना हैं “
जय ने देखा यश वह जार अपने
हाथो में लिए हुए खड़ा था, थोड़ी देर में ही चारों नदी की ओर चल दिए, यश ने जार से
उस छोटे से कछुए को नदी में पलट दिया, कछुआ नदी में जाते ही डुबकी लगा कर पानी के अंदर
चला गया, थोड़ी देर बाद वह फिर से उपर आया, और नदी के किनारे-किनारे पानी में तैरने
लगा, मानो ये महसूस करना चाहता हो की वह सचमुच आजाद हो गया है, बच्चे उसे ऐसे
तैरते देख कर बहुत खुश हो रहे थे, और शालिनी को ऐसा लग रहा था जैसे एक बहुत बड़ा
बोझ उतर गया उसके सर से, खुद को बहुत हल्का महसूस कर रही थी, क्यों की उसने भी तो
आज एक अंधविश्वास की डोर तोड़ी थी,
शालिनी जय से बोली-“ यदि किसी को कैद कर के पैसा मिलता है तो ऐसा
पैसा हमें नहीं चाहिए, नहीं बनना हमें आमिर, हम जैसे हैं वैसे ही ठीक हैं, जय ने
कुछ नहीं कहा- केवल प्यार से मुस्कुराते हुए शालनी के कंधे पर हाथ रख कर अपने करीब
ले आता हैं,
अल्पना सिंह
Real story
ReplyDeleteNice story
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