पर्फेक्ट जोड़ी,हिंदी कहानी,
पर्फेक्ट जोड़ी
“आज घर में एक छोटी सी पूजा
रखी हैं, पूजा में आप सभी को आना हैं, मैंने फुआ जी से कहा और फ़ोन काट दी, “
मैं सुबह-सुबह उठ कर पूजा
की तैयारी में लग गयी, तभी मोबाईल की घंटी बजती है, मेरी कामवाली कमला का फ़ोन था,
दीदी मेरी बेटी को दस्त हुआ है, उसे ले कर हॉस्पिटल जाना है, न चाहते हुए भी उसे
छुट्टी देनी पड़ी,
राजेश बोले-“मम्मी
को क्यों नहीं बुला लेती हो?”
मैं बोली नहीं “मम्मी को भी
दो दिन से बुखार लग रहा हैं, कल ही डाक्टर को दिखा कर आयीं हैं, यदि आराम नहीं
करेंगी तो और बीमार हो जाएँगी, मैं सब कर लुंगी,”
राजेश को घर के कामों में
बिलकुल मन नहीं लगता है, एक गिलास पानी भी खुद से ले कर नहीं पीते हैं, फिर क्या
था चिल्लाना गुस्सा करना शुरू हो गया “अरे सोच समझ कर पूजा रखना था अब करो सारे
काम अकेले और बीमार पड़ोगी तो मेरे पास नहीं आना” गुस्से से अख़बार को टेबल पर पटक
देते हैं,
मैं गुस्से से बोली- “अब
मुझे पता थोड़े ही था की आज ही कमला की बेटी बीमार हो जाएगी”
राजेश-“ लेकिन मम्मी बीमार
है ये तो पता था ना “
हम दोनों पति-पत्नी आपस में
बहस कर ही रहे थे तभी एक गाड़ी आ कर रुकी, उसमे से मेरी फुआ जी का लड़का जय और उसकी पत्नी चारू उतर कर आए,
मैं उन दोनों को अपने घर
में देख कर सहसा चौंक गयी, क्यों की फुआ जी चारू को किसी रिश्तेदार के घर आने जाने
नहीं देती हैं, क्यों की चारू का रंग दबा हुआ है, और उसके ठीक विपरीत जय एक सुंदर
और आकर्षक व्यक्तित्व वाला लड़का, शादी में ही फुआ जी जी ने बहुत तमाशा किया था, वह
तो फूफा जी थे जिनके डर से फुआ जी ने अपना मुहं बंद किया, ये तो बिलकुल मिस मैच जोड़ी
हैं पता नहीं ये रिश्ता कैसे किया, जितने रिश्तेदार आये हुए थे यही काना-फूसी कर
रहे थे, उसके विपरीत फूफा जी और जय के चेहरे पर कोई शिकन नहीं था,
दरअसल चारू फूफा जी के साथ
काम करने वाले एक दोस्त की लड़की थी, जिनकी तबियत अचानक खराब हो गयी, इसलिए
उन्होंने दोस्ती के कारण चारू और जय की शादी कर दी,
इधर सुना तो था मैंने की
फुआ जी बदल गयी हैं, चारू को मानने लगी है, क्यों की फुआ जी बीमार रहने लगी हैं, और
चारू उनकी बहुत सेवा करती हैं, चारू और जय को अपने घर देख कर मैं समझ गयी की फुआ जी
जरुर बदल गयी हैं, चारू और जय ने घर में आते ही सारे काम अपने हाथों में ले लिया,
राजेश और मैं पूजा पर बैठ गये, पूजा से उठी तब सारे मोहल्ले की औरते चारू की तारीफ
करते नहीं थक रही थी, अपने अच्छे और हँसमुख स्वाभाव से थोड़े समय में ही चारू ने
सभी का दिल जीत लिया था, मैं मन ही मन सोच रही थी थोड़े समय में ही चारू ने सभी का
दिल जीत लिया कुछ तो बात है इसमें, तभी राजेश ने आवाज लगाई- “अरे भाई पूजा ख़तम हुई
अब तो खाना मिलेगा की नहीं “
चारू हँसते हुए बोली- “मिलेगा
जीजा जी “ और खाना लगाने लगी,
मैं भी चारू की मदद करने
लगी, साथ ही साथ फुआ जी का हाल-चाल भी पूछने लगी,
चारू बोली-“ ऐसे तो सब ठीक
है दीदी, मम्मी जी के ही घुटने दर्द रहता है, जिससे उन्हें चलने-फिरने में परेशानी
होती है, इसीलिए उन्होंने कहा जैसे घर की जिम्मेदारी उठा ली हो वैसे बहार की भी
जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी, उन्होंने ही भेजा हम दोनों को,
चारू की बाते सुन कर बहुत
अच्छा लगा मुझे, मैंने हँसते हुए कहा-“ देखो आज एक बहु ने सासु माँ की एक और जिम्मेदारी
अपने कंधो पर उठा लि, “
इतना सुन कर चारू खिलखिला
कर हंस पड़ी, जब चारू हँस रही थी मेरी नजर चारू के चेहरे पर पड़ी, पीले रंग की साडी
मे चारू का सांवला चेहरा खिल रहा था, उसकी बड़ी-बड़ी आँखे, मोतियों जैसे दांत, एक
अलग ही चमक थी उसके चेहरे पर, मैंने देखा जय भी तिरछी नजरो से चारू को देख रहा था,
मेरी नजर ही नहीं हट रही थीं उन्दोनो पर से, मैं मन ही मन सोच रही थीं कौन कहता है
की ये मिस मैच जोड़ी है, ये तो फ्र्फेक्ट मैचिंग जोड़ी हैं l
खाना खाने के बाद जय और
चारू भी अपने घर चले गये, राजेश को हर बात में फिरकी लेने की आदत है, राजेश ने
आँखे मटकाते हुए कहा- “देखो मिन्नी, ना पैसो से ना रूप से, चारू ने अपने व्यहार,
अपने अच्छाई से सभी का दिल जीत लिया, “
मैंने राजेश को आँखे मटकाते
हुए देख लिया था, मैंने भी हँसते हुए कहा- “सही कहा आपने, चारू को दस में से दस
नंबर मिलने चाहिए, लेकिन जय को टेन प्लस नंबर मिलेगा,”
राजेश हँसते हुए बोले- “अच्छा
क्यों तुम्हारा भाई है इसलिए,”
“नहीं बिलकुल नहीं, बल्कि
एक अच्छे हसबैंड की तरह चारू का साथ देने के लिए, इस मिस मैच जोड़ी को परफेक्ट
मैचिंग जोड़ी बनाने के लिए, जो अकेले चारू नहीं कर पाती, फुआ जी के अकडू स्वाभाव को
झेलना अकेले चारू के बस में तो बिलकुल नहीं था, मेरे ख्याल से दोनों के आपसी प्रेम
और सहयोग से ही दोनों एक गुड कपल एंड फुआ और फूफा की फैमिली हैप्पी फैमिली बन पाई
हैं,
राजेश हँसते हुए बोलते है “तर्क करने में तुमसे कोई नहीं जीत सकता हैं आखिर हो तो तुम एक वकील की ही बेटी, “और हँसते हुए वहां से चले जाते हैं
अल्पना सिंह
bhut hi achi story hai
ReplyDeleteNice story
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