काकी हिदी कहानी
काकी-
अरे काकी बेटे के घर से
इतनी जल्दी चली आई, क्या हुआ बेटे बहु ने अच्छी सेवा नहीं की क्या ?
हां करेंगी भी कैसे नौकरी
जो करती हैं, उनके पास समय होगा तभी तो करेंगी ?
काकी बोली- अरे नहीं
सावित्री, मेरी बहु ऐसी नहीं है री, वह तो मेरे बेटे से भी अच्छी है, मास्टरनी
हैं, छोटे-छोटे बच्चो को विज्ञान पढ़ाती है, मेरा बहुत ख्याल रखती थी, एक काम नहीं
करने देती थीं, दिन भर आराम करो, लेकिन ये भी सच है की मैं दिन भर घर में अकेली ही
रहती थीं, ओम ऑफिस, बहु और दोनों बच्चे स्कूल चले जाते थे, मैंने बहु से कहा की मेरा मन अकेले नहीं लगता
है, तब एक दिन बहु मुझे एक मंदिर में ले गयी वहां मेरे जैसी बहुत सी औरते इक्कठा
होती थी भजन कीर्तन करती थी, योगा करती थी, उन सभी से मिल कर मुझे बहुत अच्छा लगा
और मेरा मन भी लगने लगा था,
सावित्री बोली- “अच्छा तो
फिर यहाँ अकेले मरने के लिए क्यों चली आयीं, “
काकी हँसते हुए बोली- अपने
इन पेड़ो के लिए, मेरी इन पेड़ो को मेरी जरुरत है, मेरी देख भाल के बिना ये पेड़ सुख जायेंगे,
सावित्री- “अरे काकी कौन सा
इन सारे पेड़ो के फल तुम खाती हो, सारे फल गाँव के शरारती बच्चे ही खाते है और बचा
हुआ फल तुम खुद ही बाँट देती हो, काकी आप बहुत भोली हो, आपकी पढ़ी-लिखी बहु ने
उल्टा-पुल्टा सिखा कर वापस भेज दिया, इतना भी नहीं समझती की उन्होंने आपसे अपना
पल्ला झाड़ लिया,”
काकी हँसते हुए बोली- “अरे
चुप रे पगली, सारी बहुए बुरी नहीं होती और नहीं सारी सास बुरी होती हैं, और सास
बहु पुराण के अलावा भी बहुत सी बाते होती है दुनियाँ में, सावित्री एक टक काकी को
देख रही थी,
काकी बोली-“ पहले मुझे भी
ऐसा लगता था की मैंने इन पेड़ो को इस जगह को सम्हाल रखा हैं, लेकिन ऐसा नहीं हैं मुझे
तो शहर जा कर पता चला की मैंने इन पेड़ो को नहीं, इन पेड़ो ने मुझे सम्हाल रखा हैं,”
सावित्री आश्चर्य से- “मतलब
“
काकी- “ तू बैठ मेरे पास
तुझे समझाती हूँ “ जब मैं उन औरतो से मिली, उनमे से एक भी औरत ऐसी नहीं थी जो किसी
बीमारी से ग्रसित ना हो, कुछ तो मुझसे छोटी भी थीं, किसी को घुटने में दर्द, किसी
को चिनिया रोग, किसी को ह्रदय रोग, किसी को धड़कन की बीमारी, कईयों के पति भी साथ
आते थे, उन्हें भी ऐसी ही बीमारी थीं, सभी कोई न कोई गोली खाते हैं, वे सब मुझे
देख कर आश्चर्य करती थीं की मुझे अभी तक कोई बीमारी नहीं है, वे सभी पार्क में
टहलने जातीं, वे सभी दस कदम चलने में पर हांफने लगती थी, लेकिन मैं तो पार्क के दो
तिन चक्कर बिना थके लगा लेती थीं, सभी मेरे स्वस्थ और सेहतमंद होने का राज पूछती
थीं,
अपने हाथों को नचाते हुए
काकी बोली- “तभी मेरी बहु ने मुझे इन पेड़ो के महत्त्व को समझाया, “
माँ जी आप प्रकृति के गोद
में रहती है, आपने प्रकृति की सेवा की है तो प्रकृति ने भी आपको आज तक सम्हाल कर
रखा है, ये पेड़ ही हैं जिनसे हमें शुद्ध प्राणवायु प्राप्त होती, हमारे पर्यावरण
को शुद्ध और स्वच्छ बनाये रखने में इन पेड़ो की अहम भूमिका है, हमने अंधाधुंध पेड़ो
को काट कर पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा संकट उत्पन कर दिया, अनावश्यक वाहनों का
प्रयोग भी शहरी क्षेत्रो में वायु और ध्वनि प्रदुषण का कारण बना हुआ है, नित्य
नए-नए मशीन के अविष्कार से मनुष्यों ने शारीरिक श्रम करना कम कर दिया है, पैदावार
बढ़ाने के चक्कर में हम आवश्यकता से ज्यादा रासायनिक खाद का प्रयोग कर रहे हैं,
जिससे हमारे अनाजो में, फल, सब्जियों में पोषक तत्वों की कमी होते जा रही हैं,
जिसके कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते जा रही हैं, जिससे हम ज्यादा बीमार
पड़ रहे है, लेकिन माँ जी आपने तो अपने गाँव में एक छोटा बगीचा लगा रखा हैं, आम,
अमरुद, निम्बू, आंवला, नीम, पीपल और ना जाने कितने पेड़ लगा रखे हैं आपने, आज दुनिया
सभी को ऑर्गनिक खेती का महत्त्व समझा रही है, ऑर्गेनिक खाद का महत्व समझा रही है,
लेकिन माँ जी आप तो पहले से ही ऑर्गेनिक खाद का उपयोग कर फल सब्जियां उगाती है,
सावित्री आश्चर्य से- ये
ऑर्गेनिक खाद और ऑर्गेनिक फसल क्या होता है काकी ?
काकी हँसते हुए बोली- मैंने
भी यही सवाल अपनी बहु से पूछा था, फिर उसने बताया- गोबर, कंडे वैगरह आदि से जो खाद
बनता है वही ऑर्गेनिक खाद है और उसके उपयोग से जो फल सब्जियां फसल पैदा किये जाते
हैं जिनमे रसायनी खादों का उपयोग नहीं होता उसे ऑर्गेनिक खेती कहते हैं,
और माँ जी आप आज भी
शील-बट्टे पर चटनी पिस लेती हैं,पूजा पाठ के नाम पर ही सही चक्की पर आटा पिस लेती
है, अपने बगीचे की देख-भाल के लिए प्रतिदिन दो किलोमीटर पैदल चल लेती हैं, आपकी
यही सारी छोटी-छोटी आदतें जिससे आप स्वस्थ और निरोग हैं, तभी दरवाजे से काकी को
कोई आवाज लगता है,
काकी बोली-“ जा देख कौन आया
है “
सावित्री – “मुखिया जी और
मास्टर जी है “
काकी – अरे आईये, आईये,
मुखियाँ जी, मैंने ही आप लोगो बुलाया है,
मुखियां जी बोले- काकी जी
हमने आपकी सारी बाते सुन ली है, आपकी बहु बिलकुल सही बोल रही हैं, और सरकार ने भी
पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए कई कई कारगर उपाय किये हैं, जैसे वृक्षारोपण
इत्यादि,
काकी बोली- केवल वृक्षारोपण
से काम बन जायेगा ऐसा नहीं है मुखियाँ जी, ये तो वही बात हुई दवा खा रहे है और
परहेज नहीं कर रहे हैं,
मुखियाँ जी बोले- “मतलब “
काकी- मतलब, दिन रात
अनावश्यक वाहन का उयोग कर रहे है जिससे निकला धुआं ना केवल हमारे पर्यावरण को
दूषित कर रहा है बल्कि, हमारे पेड़-पौधों को भी नुकसान पहुँचा रहे है, आज ही पंचायत
भवन में बैठक बुलाईये और अपने बच्चो को अनावश्यक वाहन उपयोग पर सख्ती से रोक
लगाईये, पर्यावरण सुरक्षा के सारे उपाय बताईये, केवल पेड़ लगाने से काम नहीं चलेगा,
काकी की बात मास्टर जी और
मुखियां जी दोनों ने सहमती जताई और चल दिए पंचायत भवन की ओर
अल्पना सिंह
Achi kahaani hai sath ek msg v hai
ReplyDeletevery nice story
ReplyDeleteबात सही है✌️
ReplyDeleteअच्छी कहानी है ।आपकी कहानी से बहुत सीखने को मिलता है।
ReplyDelete