मेरे हिस्से में पिता जी आये हैं,हिंदी कहानी
मेरे हिस्से में पिता जी
आये हैं
अभिनव-“ मौली, मेरे पिता जी
ने तुम्हारे साथ, तुम्हारे पिता जी के साथ इतना बुरा किया, लेकिन तुम फिर भी मेरे
पिता जी की इतनी सेवा कर रही हो, तुम्हारा ये एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूल
पाउँगा,”
मौली- “ये कैसी बातें कर
रहे हैं जी आप, ये केवल आपके पिता हैं मेरे नहीं ? ये मेरे भी पिता जी है, इनकी
सेवा करना मेरा फर्ज हैं, कोई एहसान नहीं,”
रूही कमरे के बहर खड़ी
मम्मी-पापा की सारी बाते सुन रही थी, पापा के ऑफिस जाने के बाद रूही ने मम्मी से
पूछा- “ क्या बात है मम्मी आज दादा जी भी ऐसी ही बातें कर रहे थे,
मौली- “ क्या बोल रहे थे तेरे दादा जी ”
रूही- “बोल रहे थे की
उन्होंने आपके साथ और नाना जी के साथ ठीक नहीं किया, आज वे अपने उसी करनी का फल
भोग रहे है, ऐसा क्या हुआ था मम्मी, जिसके लिए दादा जी आज भी इतने शर्मिंदा हैं,”
मौली बोली- “ओह ! रूही पिता
जी को शर्मिंदा होने की जरुरत नहीं, मैं आज ही पिता जी से बात करुँगी,”
रूही- “लेकिन मम्मी हुआ
क्या था ?”
मौली- “बताती हूँ, दरअसल हमारी
शादी कोई लव मैरेज नहीं बल्कि अरेंज मैरिज थी रूही, जब तुम्हारे पापा और मैं गाँव
में मिले थे उससे पहले ही तुम्हारे दादा जी ने और नाना जी ने हम दोनों की शादी तय
कर दी थी, तुम्हारे पापा को मैं पहली नजर में पसंद आ गयी थी, और मुझे तुम्हारे
पापा, उस समय तुम्हारे पापा पढाई कर रहे थे, और मैंने भी इंटर का एग्जाम दिया था,
अरे मौली देख वह नीले रंग
के टी-शर्ट पहने हुए हैं ना, वही तेरा दूल्हा हैं और सभी हँसने लगी, ऐसा बोल कर मेरी
सहेयाँ मुझे छेड़ रही थीं, इस तरह तुम्हारे पापा बिना शादी के ही मेरा दूल्हा बन
गये, मैंने देखा तुम्हारे पापा मुझे चोर निगाहों से देखने की कोशिश कर रहे थे,
इतना बोलते-बोलते मौली की गाल लाल हो गये, इतना बोल कर मौली चुप हो गयी जैसे
ज्यादा बोल गयी हो,
अच्छा मम्मी ! रूही उछलते
हुए बोली-“ आगे क्या हुआ बताईये न आप चुप क्यों हो गयी, पापा ने आपको प्रोपोस कैसे
किया?
प्रोपोस क्यों करते? हमारी
तो शादी तय हो गयी थी, लेकिन चिठ्ठी लिखी थी तुम्हारे पापा ने, इतना बोल कर मौली
हँसने लगी,
रूही- “ओ ओ मम्मी क्या बात
हैं....., लेकिन मम्मी जब सब ठीक चल रहा था, आपकी और पापा की शादी तय हो चुकी थी,
आप और पापा दोनों एक दुसरे को पसंद करते थे, तो फिर ऐसा क्या हुआ की दादा जी इस
शादी के खिलाफ हो गये, आपको और पापा को कोर्ट मैरेज करना पड़ा, “
हाँ रूही- “सब कुछ ठीक चल
रहा था, तभी तुम्हारे पापा ऑफिसर बन गये, “
रूही- “हाँ तो मम्मी ये तो
अच्छी बात है ना, इससे आपका और पापा का रिश्ता क्यों टूट गया,”
मौली- क्यों की जब तेरे
पापा के साथ मेरी शादी तय हुई थी तब तुम्हारे पापा पढ़ाई कर रहे थे, इसलिए दहेज़ भी
कम था, लेकिन अब तुम्हारे पापा ऑफिसर बन गये थे, उनके लिए रिश्तो की लाइन लग गयी,
और साथ में दहेज़ के रूप में ढेर सारा पैसा भी, तुम्हारे दादा जी को लालच हो गया, उन्होंने
मेरी और तुम्हारे पापा का रिश्ता तोड़ दिया और ज्यादा दहेज़ के लालच में तुम्हारे
पापा की शादी कही और तय कर दी,
तुम्हारे नाना जी के लिए ये
किसी सदमे से कम नहीं था,
“ रिश्ता टूटने से गाँव में
बहुत बदनामी होगी, लड़की का रिश्ता एक बार टूटने से दूसरी जगह शादी तय होने में
कठिनाई होती है, लोग सारा दोष लड़की के सर ही मढ़ देते है,” इसी चिंता में तुम्हारी
नानी ने तो बिस्तर ही पकड़ लिया,
चाचा जी ने साफ-साफ कह दिया
की ये रिश्ता तोड़ दीजिये, ये लालची लोग है, दहेज़ केलिए आगे भी हमारी मौली को तंग
करेंगे ?
लेकिन मेरे दिल की बात तो
कोई समझ ही नहीं रहा था, मैंने तो अपना सब कुछ ही तुम्हारे पापा को मान लिया था...
,इतना बोल कर मौली चुप हो जाती है, मौली के आँखों में आँसू आ गये,
रूही- “अरे मम्मी आप रो रही
हैं?
मौली- “कुछ नहीं रूही कुछ
पुरानी बाते याद आ गयी “ जब तुम्हारे पापा को पता चला तो वे तेरे दादा जी से लड़
गये, उन्होंने साफ-साफ कह दिया की वे शादी करेंगे तो सिर्फ मौली से, लेकिन
तुम्हारे दादा जी के आँखों पर तो लालच की पट्टी बंधी थी, वे नहीं माने, आखिर थक
हार कर तुम्हारे पापा ने कोर्ट मैरेज का ऑफर किया, मैं ऐसा करना तो नहीं चाहती थी
लेकिन मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था, क्यों की मैं भी तुम्हारे पापा के बिना
नहीं रह सकती थी, इसलिए मैंने हाँ कर दी, और हमने कोर्ट मैरेज कर लिया, इस तरह
हमारी अरेंज मैरेज लव मैरेज में बदल गयी,
रूही- ओह्ह मम्मी !
मौली- उसके बाद तो सब बदल
गया, जैसे हमारे जीवन का रात्रि आरम्भ हो गया था, तुम्हारे दादा जी बहुत नाराज
हुए, उन्होंने तुम्हारे पापा से सारा रिश्ता ही तोड़ लिया, तुम्हारे नाना जी ने उन्हें
समझाने की बहुत कोशिश की, हालाँकि तुम्हारे नाना जी भी हम दोनों से बहुत नाराज थे,
लेकिन पुत्री का मोह था, वे चाहते थे की सब कुछ ठीक हो जाये, लेकिन तुम्हारे दादा
जी नहीं माने, उन्होंने सारे गाँव वालो के सामने तुम्हारे नाना जी की बहुत
बेइज्जती की, इस बेइजती को तुम्हारे नाना जी बर्दास्त नहीं कर पाए, थोड़े दिनों बाद
ही हार्ट अटेक से उनकी मृत्यु हो गयी, और इसके लिए भी मैं ही जिम्मेदार ठहरायी
गयी, अब तो तुम्हारी मौसी, मामा सब भी मुझसे नाराज हो गये,
थोड़े दिनों बाद तुम्हारी
नानी के कहने पर तुम्हारे मामा, तुम्हारी मौसी और तुम्हारे जन्म के बाद तुम्हारी दादी माँ भी मान गयी, लेकिन तुम्हारे
दादा जी.........!
इतना बोल कर मौली एक गहरी
साँस लेते हुए सोफे पर बैठ जाती है, थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोलती है तुम्हारी
दादी माँ के मान जाने से तुम्हारे दादा जी और गुस्सा हो गये और उन्होंने अपनी पूरी
जायदाद अपने जिंदगी में तुम्हारे दोनों चाचा जी के नाम कर दि, ताकि तुम्हारे पापा
को कुछ नहीं मिल सके, यहीं उन्होंने सबसे बड़ी गलती कर दी, जब तक तुम्हारी दादी माँ
जिन्दा थी तब तक तुम्हारे दादा जी की अकड़
बरकरार रही, तुम्हारी दादी माँ भी कब तक झेलती आखिर एक दिन चली गयीं दुनियां छोड़
कर, अब तुम्हारे दादा जी तुम्हारे दोनों चाचा जी को बोझ लगने लगे, अब उन्हें याद आ
गया की तुम्हारे दादा जी के दो नहीं तिन बेटे हैं, उनके बीमारी पर होने वाले खर्चे
के तिन हिस्से होने चाहिए, और उनकी सेवा भी तिन हिस्सों में होनी चाहिए,इसलिए
तुम्हारे पापा को गाँव बुलाया गया,
रूही- “ तो मम्मी पापा ने
दोनों चाचा जी को कुछ नहीं कहाँ ”
मौली- नहीं ! क्यों की जब
तुम्हारे पापा ने दादा जी को साथ में आने के लिए कहा तब तुम्हारे दादा जी ने एक
बार भी इंकार नहीं किया, कुछ कहने सुनने की जरुरत ही नहीं पड़ी, क्यों की उनकी
चुप्पी सब कुछ बोल गयी, और तुम्हारे पापा दादा जी को ले कर आ गये,
रूही- “ लेकिन मम्मी आपने भी
कुछ नहीं कहाँ ?”
मौली- नहीं, क्यों की जब
तुम्हारे दादा जी ने अपना सब कुछ तुम्हारे दोनों चाचा जी के नाम कर दिया, तब
तुम्हारे पापा को बहुत तकलीफ हुआ था, पहले तुम्हारे पापा को ऐसा लगता था की
तुम्हारे दादा जी उनसे केवल उपर-उपर से नाराज है,लेकिन दिल से आज भी उन्हें प्यार
करते हैं, लेकिन तुम्हारे दादा जी के इस कदम से तो तुम्हारे पापा की आखरी उम्मीद
भी टूट गयी,
उस दिन के बाद मैंने तुम्हारे
पापा को उसी दिन खुश देखा जब तुम्हारे पापा गाँव से तुम्हारे दादा जी को ले कर आये
थे, तुम्हारे पापा ने गाँव से आते ही कहाँ था, गाँव में बटवारा हो गया, मेरे
हिस्से में पिता जी आये हैं,
अल्पना सिंह
Nice story
ReplyDeletenice story
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