कल किसने देखा हैं (भाग-1)
कल किसने देखा हैं (भाग-1)
ऋषभ और रिया की कहानी
ऋषभ ने आज जैसे ही ऑफिस में कदम रखा, ऑफिस के
सारे लोग गम गिन खड़े थे, सभी के चेहरे पर उदासी दिख रही थी, ऑफिस के सभी स्टाफ आपस
में काना फूसी कर रहे थे, ऋषभ ने इस बात को महसूस तो किया की जरुर कुछ हुआ हैं
लेकिन वो इस ऑफिस का सीनियर ऑफिसर था सबका बॉस, बॉस होने का उसे रुतबा तो रखना ही
पड़ता हैं, इसलिए ऋषभ बिना किसी से बात किये सीधे अपने केबिन में चला जाता हैं, तभी
ऑफिस में काम करने वाला रमेश ऋषभ के केबिन में आता हैं,
रमेश केबिन के बाहर
दरवाजे पर खड़े हो कर- “में आई कोम्मिंग सर,”
ऋषभ रमेश की ओर देख कर
मुस्कुराते हुए- “हाँ आओं रमेश, क्या बात हैं आज ऑफिस में काफी सन्नाटा हैं,”
ऋषभ की बात सुन कर रमेश
रोआंसी आवाज में- “ऋषभ सर, आज सुबह अपने बड़े साहब रवि तनेजा सर का निधन हो गया,”
रमेश की बात सुन कर ऋषभ एकदम
से चौंक जाता हैं, चौंकते हुए ऋषभ- “व्हाट ! कब हुआ ये सब और कैसे ?”
रमेश गमगीन आवाज में- “आज
सुबह ह्र्दय गति (हार्ट फेल) रुक जाने से रवि सर का निधन हो गया, हम सभी आपको बहुत
फ़ोन लगा रहे थे लेकिन आपका फ़ोन बंद आ रहा था,”
ऋषभ थोडा धीरे से और रोआंसी
आवाज में- “हाँ कल रात मेरा फ़ोन पानी में गिर गया था जिसके कारण मेरा फ़ोन खराब हो
गया हैं,” अभी भी ऋषभ के चेहरे पर हवाईयां उड़ रही थी ऋषभ हक्का-बक्का रमेश के
चेहरे को देख रहा था,
रमेश ऋषभ को चुप देख कर- “सर हम सब रवि तनेजा के
घर जा रहे हैं आप भी चलियेगा क्या ?”
रमेश की बात सुन कर ऋषभ
हकलाते हुए- “हाँ....हाँ चलिए , और हाँ रमेश जी आज ऑफिस की छुट्टी कर दीजिये,”
ऋषभ की बात सुन कर रमेश जी
हाँ में सर हिलाते हुए- “ठीक हैं सर,”
फिर थोड़ी ही देर में ऑफिस
के सभी स्टाफ के साथ ऋषभ भी अपने बॉस रवि तनेजा के घर पहुँचता हैं, रवि तनेजा का
शव अभी भी उनके बरामदे में रखा हुआ था, ऐसे लेटे थे रवि तनेजा जी जैसे गहरी नींद
में सो रहे हो, चेहरे पर वही चिर-परिचित मुस्कान, ऋषभ को ना चाहते हुए भी तनेजा की
दो दिन पहले कहीं बात याद आ गयी, अभी दो दिन पहले ही तो बोल रहे थे तनेजा साहब की
ऋषभ रिटायर्मेंट के बाद मुझे केवल अपनी पत्नी के साथ रहना हैं मेरा सारा समय केवल
मेरी पत्नी के लिए होगा, तभी ऋषभ के कानो में उनकी पत्नी के रोने की आवाज सुनाई
पड़ी, तनेजा साहब की पत्नी चीखे मार मार कर रो रही थी, बाल बिखरे हुए, कपड़े
अस्त-व्यस्त, रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था उनकी पत्नी का, तनेजा साहब की पत्नी के
रोने की आवाज से ऋषभ अंदर तक सिहर उठता हैं, ऋषभ एक नजर उठा कर तनेजा साहब की
पत्नी की ओर देखता हैं, साँवला रंग, गोल चेहरा, आँखे बड़ी-बड़ी, उम्र लगभग 40-45 के
बिच, बालो में हलकी सफेदी आने लगी थी, बिलकुल ऐसा ही जैसा तनेजा साहब ने बताया था,
देखने से कम पढ़ी लिखी और सीधी-साधी मालूम पड़ रही थी, तभी रमेश जी आ कर बोले “ऋषभ
सर तनेजा साहब की अर्थी उठने वाली हैं, आप भी तनेजा साहब की अंतिम यात्रा में
चलेंगे ना,
ऋषभ- “हाँ में सर हिलाते
हुए हॉल से बाहर निकल आता हैं, और एक हॉल के एक कोने में में खड़ा हो जाता हैं, और
शून्य आँखों से रवि तनेजा जी की अंतिम यात्रा की तैयारी को देखने लगा, ये सब देख
कर ऋषभ का मन बहुत बेचैन हो रहा था, ऋषभ से ये सब देखा नहीं गया वो हॉल से बाहर
निकल आया और गार्डन में लगे एक बेंच पर बैठ गया, बाहर गार्डन की खुली हवा में भी
ऋषभ को घुटन महसूस हो रही थी, रह रह कर ऋषभ के सामने रवि सर का चेहरा याद आ जा रहा
था, इतने करीब तो नहीं थे वे ऋषभ के काफी अकडू और अड़ियल किस्म के इन्सान थे, कई
बार ऋषभ और रवि सर के बिच गरमा-गर्मी हो जाती थी, और कई बार तो ऋषभ रवि ताने जा
कारण नौकरी तक छोड़ने की सोचने लगता था फिर आज रवि तनेजा के अचानक चले जाने पर ऋषभ
को क्यों ऐसा लग रहा था की उनका कोई अपना उनसे छोड़ कर चला गया हो, क्यों रवि तनेजा
साहब की अचानक मौत ने ऋषभ को अंदर तक झकझोर के रख दिया, रवि तनेजा सर की पत्नी की
रुदन ऋषभ के दिल को सीधे चोट कर रहे थे, रवि तनेजा सर की पत्नी का चेहरा ऋषभ के
आँखों से ओझल ही नहीं हो रहा था, बेंच पर बैठे बैठे ऋषभ को ना जाने क्यों कल की
बात याद गयी, अभी कल की ही तो बात की थी ऋषभ ने रवि सर से जब रवि सर ने ऋषभ को
अपने केबिन में बुलाया था-
आगे की कहानी अगले भाग में
superb story
ReplyDeleteNice story
ReplyDeletenice
ReplyDeleteकहानी का मुख्य भाव "अचानक मृत्यु से उत्पन्न गहरा शोक और मानवीय संबंधों की जटिलता" है। कहानी में ऋषभ का अपने बॉस रवि तनेजा के निधन की खबर सुनने के बाद की मानसिक स्थिति को दर्शाया गया है। वह भावनाओं के उथल-पुथल से गुजरता है, भले ही उसके और रवि तनेजा के बीच अच्छे संबंध नहीं थे। कहानी यह दिखाती है कि कैसे किसी की मृत्यु जीवन की नश्वरता को उजागर कर देती है और व्यक्ति को अपने रिश्तों और भावनाओं पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर देती है।
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