इत्तेफाक

इत्तेफाक

शेफाली आज बहुत दिनों बाद डायरी ले कर लिखने बैठी तो सोच में पड़ गयी कैसे शुरुआत करू कहाँ से करू, शेफाली को लिखते देख कर उसकी 10 साल की बेटी आयुषी शेफाली के पास आ कर बैठ गयी और बहुत ध्यान से अपनी मम्मी को डायरी में लिखते हुए देखने लगी, आयुषी अपनी मम्मी शेफाली को ऐसे ही थोड़ी देर लिखते देखती रही, फिर कुछ सोचते हुए आयुषी बोली- “मम्मी आप लिखती हो,”

अपनी छोटी सी बेटी के मासूम से सवाल पर शेफाली मुस्कुराते हुए- “बस यु ही थोडा बहुत लिख लेती हूँ,

आयुषी- “लेकिन मम्मी मैंने पढ़ा हैं आप बहुत अच्छा लिखती हो,”

आयुषी बेटी के मुहं से अपनी तारीफ सुन कर शेफाली भावुक हो गयी और बड़े प्यार से अपनी बेटी आयुषी के गालो को सहलाते हुए- “पता हैं आयुषी मैं अपने स्कूल में हमेशा टॉप आती थी, स्टोरी, पोएट्री में और मेरी इच्छा थी की मैं अपनी बुक पब्लिश करू,”

आयुषी चहकते हुए- “तो क्यों नहीं किया ?”

आयुषी के इस सवाल पर शेफाली खामोश हो जाती हैं, शेफाली उदास हो जाती हैं, जैसे आयुषी ने उसके दुखते रख पर हाथ रख दिया हो, फिर खुद को सम्हालते हुए प्यार से आयुषी के बालो को सहलाते हुए- “क्यों की मैं एक छोटे शहर से हूँ और हमारे शहर में कोई पब्लिकेशन नहीं है, इसलिए मेरी बुक अभी तक पब्लिश नहीं हुई,”

 आयुषी चहकते हुए- “मम्मा आप अपनी बुक ऑनलाइन क्यों नहीं कोशिश करती हो,”

शेफाली आश्चर्य से अपनी बेटी आयुषी के चेहरे को देखते हुए- “ऑनलाइन ?”

आयुषी- हाँ मम्मा ऑनलाइन, हमारे घर में तो सारी सुविधा है, मोबाईल, लैपटॉप, वाई-फाई, सब कुछ, तुम अपना ब्लॉग भी लिख सकती हैं,”

शेफाली हंस कर- “ लेकिन बेटे, मुझे तो ये सब नहीं आता, मुझे तो मोबाईल से केवल कॉल करना आता हैं,”

शेफाली की बात सुन कर आयुषी  हँस कर बोली- “ मम्मा आपके सारे सवालों का जवाब भी ये मोबाईल हैं, इसमें गूगल है, गूगल से पूछ सारे रास्ते मिल जायेंगे,”

फिर क्या था शुरू हुआ शेफाली के राइटिंग का एक नया सफ़र, शेफाली ने थोड़े ही दिनों में कई ग्रुप ज्वाइन कर लिया, अपना एक ब्लॉग बना लिया, फेसबुक पेज बना लिया, शेफाली ने कई छोटी छोटी कहानियाँ लिख कर डाल दिया ग्रुप में, इसके बाद शुरू हुआ फ्रेंड रिक्वेस्ट आने का सिलसिला, सब कुछ अच्छा चल रहा था की तभी एक फ्रेंड रिक्वेस्ट ने शेफाली को अंदर तक झकझोर के रख दिया, और वो था उसके साथ कालेज में पढ़ रहे करन का, शेफाली ने कांपते हाथो से करन के प्रोफाइल आई डी को खोल कर देखा, ये तो करन ही था, शेफाली रात भर सो नहीं पाई इसी कशमकश में की वो करन का फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करे या ना करे, कभी शेफाली का दिल केवल करन के लिए धड़कता था, कालेज के दिनों में शेफाली कारन की दीवानी थी, क्लास बंक कर कारन के साथ घूमना, करन की मिठ्ठी बाते शेफाली को बहुत अच्छी लगती थी, लेकिन एक दिन शेफाली के पापा ने शेफाली को करन के साथ एक रेस्टोरेंट में देख लिया, फिर क्या था जब शेफाली घर आई तो शेफाली पापा ने बहुत हंगामा किया, बहुत डांट पड़ी शेफाली को यहाँ तक की शेफाली के पापा तो शेफाली पर हाथ तक उठाने के लिए आगे बढ़ गये थे, वो तो मम्मी बिच में आ गयी की शेफाली बच गयी, फिर आनन्-फानन में शेफाली के पापा ने शेफाली की शादी रोहन से तय कर दी, क्यों की शेफाली के पापा को गोरमेंट जॉब वाला दामाद चाहिए था और करन अभी बेरोजगार था, शेफाली तो करन के साथ घर से भाग कर शादी करने के लिए भी तैयार थी लेकिन उस वक़्त करन ही नहीं माना, करन ने कहा था की वो अपने जिम्मेदारियों से मुहँ नहीं फेर सकता, वो अपने मम्मी पापा को नहीं छोड़ सकता हैं, फिर क्या था शेफाली की शादी रोहन से हो गयी, रोहन एक अच्छा लड़का था, बैंक में जॉब करता था और शेफाली से बहुत प्यार करता था, लेकिन कहते हैं ना दिमाग पर हमेशा दिल ही जीतता हैं, यहाँ भी दिल जित गया, सुबह होते ही शेफाली ने करन की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली, और फिर शुरू हुआ बातों का सिलसिला, पहले हाल-चाल, फिर घर परिवार की बाते, फिर शुरू हुई पुरानी यादो का सिलसिला, ऐसे ही शेफाली और करन के बिच बातो का सिलसिला चलने लगा फिर एक दिन करन ने शेफाली को रोहन के बारे में कुछ ऐसा बताया जिसे सुन कर शेफाली के पैरो तले जमीं ही खिसक गयी, ऐसा लगा मानो किसी ने उसे आसमान से जमीं पर पटक दिया हो, अब शेफाली और रोहन के बिच झगड़े शुरू हो गये, शेफाली रोहन से छोटी-छोटी बातो को ले कर झगड़ने लगी, शेफाली के छोटी-छोटी बातो पर झगड़ने से घर का माहोल खराब हो रहा था, छोटी आयुषी भी डरी-सहमी रहने लगी थी, लेकिन शेफाली को इन बातो से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, रोहन को भी शेफाली के अंदर आये इस बदलाव का आभाष हो चूका था, रोहन इस बात को नोटिस कर रहा था की शेफाली आज कल फेसबुक पर कुछ ज्यादा टाइम देती हैं, आखिर एक दिन रोहन के शेफाली का मोबाइल चेक किया तो रोहन को करन के बारे में पता चला, करन के बारे में जान कर एक पल तो रोहन को बहुत गुस्सा आया लेकिन दुसरे ही पल अपनी छोटी बच्ची आयुषी का ख्याल आते ही खुद को सम्हाल लिया, और रोहन ने मन बना लिया की वो करन के बारे में शेफाली से साफ साफ बात करेगा, रोहन ने जब शेफाली से करन के बारे में बात की और शेफाली को समझाने की कोशिश की लेकिन शेफाली कुछ सुनने को तैयार नहीं थी, उल्टा रोहन से झगड़ा करने लगी, रोहन गुस्से से बिना खाना खाए ही बैंक के लिए निकल गया और शेफाली अपने बेड पर बैठ कर अपना सर पकड़ कर रोने लगी, तभी करन का फ़ोन आया, शेफाली ने रोते-रोते करन को सारी बात बता दी, और तब करन ने शेफाली के सामने रोहन को छोड़ कर वापस उसके पास लौट आने का प्रस्ताव रखा, करन की बात सुन कर शेफाली एकदम श्तब्ध थी, करन की इस बात से शेफाली के अंदर एक हलचल सी मच गयी थी, एक वक़्त था जब शेफाली करन से बहुत प्यार करती थी लेकिन आज सब कुछ बदल चूका था, ये सच था की शेफाली रोहन से गुस्सा थी लेकिन शेफाली के मन में रोहन को छोड़ने का कभी ख्याल भी नहीं आया था, लेकिन ना जाने क्या सोच कर शेफाली अपना सामान एक बैग में पैक करती हैं और चल देती हैं करन के घर, शेफाली अपना बैग ले कर करन के बताये पते पर पहुँच जाती हैं, करन का फ्लैट खुला हुआ था, शेफाली बेधडक फ्लैट के अंदर चली जाती हैं, लेकिन फ्लैट के अंदर कोई नहीं था शेफाली आश्चर्य आवाज लगती हैं करन...करन लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता हैं, तभी शेफाली को सामने टेबल पर एक लेटर मिलता हैं, जिस पर लिखा हुआ था- “शेफाली मुझे अर्जेंट काम से 5 दिनों के लिए इटली जाना पड़ रहा हैं, तब तक तुम आराम से मेरे फ्लैट में रहो, मैं अपना काम निपटा कर जल्दी लौट आऊंगा, तुम्हारा करन,”  लेटर पढ़ कर शेफाली चैन की साँस लेती हैं और अपने मन में ही सोचती हैं चलो अब मैं पाँच दिनों तक आराम से यहाँ रहूंगी,

 इधर रोहन पागलो की तरह शेफाली को ढूंढने लगता हैं, लेकिन शेफाली उसे कहीं नहीं मिलती हैं, रोहन मन ही मन गुस्सा होते हुए आपने-आप से मैं क्यों पागलो की तरह उसे ढूंढ रहा हूँ, जिसने किसी और के लिए मुझे छोड़ दिया, अपनी मासूम बच्ची का भी ख्याल नहीं आया उसे, तभी आयुषी रोहन के पास आ कर- “पापा मम्मी कहाँ गयी हैं? जब से मैं स्कूल से आई हूँ मम्मी घर पर नहीं हैं ?”

रोहन गुस्से से- “मुझे पता नहीं कहाँ गयी हैं ? भाग गयी किसी के साथ,”

अपने पापा की बात सुन कर आयुषी अवाक् रह जाती हैं, फिर गुस्से से- “पापा आप ऐसा कैसे बोल सकते हैं मेरी मम्मी के बारे में, मेरी मम्मी ऐसी नहीं हैं, वो मुझे छोड़ कर नहीं जा सकती हैं, मेरी मम्मी मुझसे बहुत प्यार करती हैं, आपको कभी उनका ख्याल रहता हैं, आपको तो केवल अपने काम से मतलब रहता हैं, काम से घर लौटते ही लैपटॉप में लग जाते हैं,”

आयुषी की बात सुन कर रोहन थोड़ी देर के लिए चुप हो जाता हैं फिर गुस्से से बोलता हैं- “आज कल तुम्हारी मम्मी भी फेसबुक पर ही लगी रहती हैं,”  

आयुषी गुस्से से- “हाँ लगी रहती हैं, क्यों की वो वो लिखती हैं, आपको तो इन बातो से कोई मतलब ही नहीं रहता हैं को, मम्मी क्या लिखती हैं क्या नहीं ? कभी पढ़ा हैं आपने ?

आयुषी की बात सुन कर रोहन को अपनी गलती का अहसास होता हैं क्यों की आयुषी अब बच्ची नहीं रह गयी थी, अब रोहन को शेफाली की चिंता होने लगी थी, पता नहीं शेफाली कैसी होगी ? किस हाल में होगी ? रोहन के मन में अब बुरे-बुरे ख्याल आने लगे, रोहन आयुषी को अपने सिने से लगा कर- “तू सही बोल रही हैं मेरी बच्ची शेफाली ऐसी नहीं हैं वो जरुर किसी गलत आदमी के चक्कर में पड़ गयी हैं, हमे पुलिस कम्पलेन करना पड़ेगा, रोहन इतना बोल कर आयुषी के साथ पुलिस स्टेशन जाने के तैयार होता हैं और जैसे बाहर जाने के लिए अपने घर का दरवाजा खोलता हैं तो सामने लगभग 36-37 साल का एक सख्स खड़ा था, उस सख्स को देख कर रोहन ठिठक जाता हैं, सामने खड़ा सख्स मुस्कुराते हुए- “हेल्लो मिस्टर रोहन, मैं करन,”

करन का नाम सुन कर रोहन आग बबूला हो जाता हैं और गुस्से से करन के कालर को पकड़ कर झकझोरते हुए- “तो तू हैं करन, बता शेफाली कहाँ हैं ?” तभी आयुषी आगे बढ़ कर- “डैड कालर छोडिये ये मेरे साइंस टीचर हैं,”

आयुषी की बात सुन कर रोहन सकपका जाता हैं और झट से करन के कालर छोड़ देता हैं, करन एक नजर उठा कर आयुषी की ओर देखता हैं और बोलता हैं- “आप अंदर जाओ बेटे मुझे आपके डैड से कुछ जरुरी बात करना हैं,” करन की बात सुन कर आयुषी कमरे के अंदर चली जाती हैं, करन क्या बात हैं मिस्टर रोहन आपको तो शेफाली की जरुरत नहीं थी, आप तो शेफाली से शादी नहीं करना चाहते थे, आपने तो शेफाली से शादी मज़बूरी में की थी, हैं की नहीं ?”

करन की बात सुन कर रोहन हक्का बक्का था और आश्चर्य से- “तुम्हें ये सारी बाते कैसे पता हैं,”

करन मुस्कुराते हुए- “क्यों की मिस्टर रोहन जिस औरत से आप ऐसी बाते करते हैं वो मेरी पत्नी हैं,” करन मुस्कुराते हुए- “मिस्टर रोहन मैं चाहता तो आपसे दुसरे तरीके से भी निपट सकता था लेकिन मैं शेफाली की जिंदगी नहीं बर्बाद करना चाहता था, इसलिए मैंने ये तरीका निकला, शेफाली कभी मेरी प्रेमिका थी लेकिन आज वो आपकी पत्नी हैं, आपको अपनी पत्नी के साथ साथ दुसरे की पत्नी का भी सम्मान करना चाहिए, ऐसे शेफाली जहाँ कही भी हैं सही सलामत हैं और जल्दी ही घर वापस आ जाएगी, आप भले उसे नहीं समझते हैं लेकिन मैं उसे अच्छी तरह से समझता हूँ की वो अपनी बच्ची से ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकती हैं, और ठीक ऐसा ही हुआ, दो दिनों में ही शेफाली को अपनी बच्ची के याद घर खिंच ले आई, और रोहन अपने किये पर बहुत शर्मिंदा था  


 

 

 

 

 

Comments

  1. कहानी का मूल भाव यह है कि रिश्तों में आदर और समझदारी महत्वपूर्ण हैं। पुराने रिश्ते और भावनाएं वर्तमान जीवन को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन सही मूल्यांकन और सम्मान से ही समस्याओं का समाधान संभव है। इस कहानी में शेफाली की भावनात्मक उलझनें और करन का सम्मानजनक व्यवहार यह दर्शाते हैं कि सच्चे प्यार और सम्मान के साथ ही रिश्ते मजबूत हो सकते हैं।

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    1. Ji kahani ko padh kar itna achcha comment krne ke liye dhanyvad

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