पिया बसंती (भाग-7)
पिया बसंती (भाग-7)
रवि जी का सॉरी बोलना मेरे दिल में एक बार फिर रवि जी को लेकर अपनी राय बदलने पर मजबूर कर देता है। क्षणिक आवेश के कारण मेरे दिल में उमड़ रहे प्रेम पर जो धुंधली सी परत पड़ गई थी, वह धुंध छंटने लगती है। मेरे मन में जो रवि के लिए प्रेम था, जो रेत के बने इमारत की तरह एक पल में बिखर गया था, गुस्से और अपमान के कारण जल कर राख बन चुका था। लेकिन रवि जी के सॉरी बोल देने से जैसे किसी ने उस जली हुई राख में फूंक मार दी हो। जो प्रेम की आग ठंडी पड़ चुकी थी, उसमें फिर से धुआं निकलने लगा। मन बेचैन हो गया। बार-बार आँखों के सामने रवि जी का मासूम चेहरा घूमने लगा, उनकी कही बातें जैसे कानों में गूंजने लगीं।
रवि:
"चलो ना, तुम रुक क्यों गई?"
सुमी:
"आज इतनी रात को कैसे
आना हुआ?"
रवि:
"उजले शूट में तुम्हें
जब छत के ऊपर देखा तो ऐसा लगा जैसे चाँद ज़मीन पर उतर आया है, बस यही देखने चला आया।"
सुमी:
"अच्छा!"
रवि अपने ही हाथों से
अपने बालों में हाथ फेरते हुए: "सुमी, ये जो पीले रंग की साड़ी है, ना, जब भी तुम पहनती हो, तुम्हारा चेहरा और खिल जाता है, जैसे सूरजमुखी का फूल हो।"
सुमी हंसकर:
"अच्छा! और जब तुम ये
नीले रंग की शर्ट पहनकर अपने बालों में हाथ फेरते हो, न, ऐसा लगता है जैसे नीला आसमान ज़मीन पर आ
गया हो, और..." इतना
बोलकर सुमी रुक जाती है।
रवि उत्सुकता से:
"और, और क्या, सुमी?"
सुमी थोड़ी नज़ाकत
से: "और
कुछ नहीं।" इतना बोलकर सुमी खिलखिला कर हंस पड़ती है।
"जानता हूँ मैं,
तुम्हारे दिल में क्या चल रहा है। तुम
बोलो या ना बोलो, लेकिन
सही वक्त आने पर मैं खुद तुमसे बोल दूंगा।"
ये अंतिम पंक्ति रवि ने बोली नहीं थी, लेकिन ना जाने मैंने कैसे सुन लिया था। शायद मेरा दिल दिमाग से बगावत करने लगा था। एक बार फिर खुले आसमान में आवारा पंछी की तरह उड़ने के लिए मचल उठा था। ना जाने कितने सपने एक पल में बून डाले इस दिल ने।
सोचा था, सुबह उठकर अपने दिल की बात बोल दूंगी। चाहे हाँ करे या ना, बोल दूंगी कि रवि जी, आपके बिना मेरा जीवन अधूरा है। बोल दूंगी, आपका साथ मुझे अच्छा लगता है, आप अच्छे लगते हैं। आपकी हर बात अच्छी लगती है। मेरे लिए वो हर पल खास बन जाता है, जब आप हमारे पास होते हैं। आपके ख्यालों में रहना अच्छा लगता है मुझे, आपके सपने देखना अच्छा लगता है मुझे, क्योंकि आप ही हैं मेरे पिया बसंती।
लेकिन मैं अपने दिल की ये बात अपनी पिया बसंती से बोल पाती, उससे पहले ही मेरा पिया बसंती मुझसे दूर चला गया। मेरे दिल की बात मेरे दिल में ही रह गई। मैं सोचती रह गई, मेरे जीवन में बसंत से पहले पतझड़ आ गया। सुबह उठकर काफी देर इंतज़ार किया। हर दिन सुबह 9 बजे रवि जी मेरे घर पर हाजिर हो जाते थे, लेकिन आज 9 बज गए, 10 बज गए, फिर 11 बज गए। मन बहुत बेचैन होने लगा। बार-बार घड़ी की ओर देख रही थी, खिड़की की पर बैठी उसकी मौसी के घर की ओर देख रही थी। दरवाजे पर भी ध्यान था कि शायद अभी घंटी बजेगी और दौड़कर दरवाजा खोलूंगी और रवि जी मुस्कुराते हुए घर के अंदर आएंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
रवि जी नहीं आए। आखिर मेरा मन नहीं माना, तो मैंने बुआ से बहाने से पूछ ही लिया—“बुआ, आज रवि जी नहीं? हर दिन तो 9 बजे तक हाजिर हो जाते थे, लेकिन आज.......”
अभी मैंने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि बुआ जी अपने घुटनों पर दवा लगाते हुए बोलीं, “अरे रवि, वो तो चला गया। उसका इंटरव्यू था, उसने किसी कॉम्पीटिशन का एग्जाम दिया था, अच्छे रैंक से पास हुआ है। रवि अब ऑफिसर बन गया। भगवान भला करे उसका, बहुत भला लड़का है।” इतना बोलकर बुआ चुप हो गईं, और मैं चुपचाप किचन में चली गई।
सुनकर खुशी हुई कि रवि एग्जाम में पास हो गए, वो ऑफिसर बन जाएंगे, लेकिन ये सोचकर मन भी उदास हो गया कि रवि जी मुझसे दूर चले गए। और उससे भी ज्यादा इस बात की तकलीफ हुई कि मेरे मन की बात मेरे मन में ही रह गई। मैं जान ही नहीं पाई कि उसके मन में मेरे लिए प्यार था या नहीं।
क्या होगा आगे—क्या सुमी कभी कह पाएगी रवि जी से अपने दिल की बात? क्या जान पाएगी सुमी कि रवि जी भी उससे प्यार करते हैं या नहीं? आगे की कहानी "पिया बसंती" के अगले भाग में।
लेखिका- अल्पना सिंह
"पिया बसंती" के इस सातवें भाग में सुमी के दिल की उलझन और भावनाओं का मार्मिक चित्रण किया गया है। सुमी के दिल में रवि के प्रति गहरी भावनाएं और प्रेम हैं, जो रवि के "सॉरी" कहने के बाद पुनः जागृत हो उठती हैं। सुमी के मन में रवि के प्रति प्रेम का ज्वार उठता है, और वह अपने दिल की बात कहने के लिए उत्साहित होती है। लेकिन कहानी में एक मोड़ तब आता है जब सुमी को पता चलता है कि रवि किसी परीक्षा में सफल होकर ऑफिसर बनने के लिए चला गया है। इस दूरी से सुमी के सपने अधूरे रह जाते हैं, और वह यह सोचकर व्याकुल हो उठती है कि शायद अब उसे रवि के दिल की बात कभी नहीं पता चलेगी।
ReplyDeleteकहानी में प्रेम, इंतजार, और अधूरी इच्छाओं का बेहद संवेदनशील चित्रण है।