सतर्कता में ही समझदारी हैं -2

 



सतर्कता में ही समझदारी हैं -2

छोटे-छोटे बच्चे साइबर क्राइम के जाल में     

आज के डिजिटल युग में मोबाइल का उपयोग हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। लेकिन इस सुविधा के साथ, यह जरूरी है कि हम अपने बच्चों को इसके सही उपयोग के प्रति जागरूक भी करें। इसका मतलब यह नहीं है कि हम बच्चों को पूरी तरह से मोबाइल से दूर रखें, बल्कि यह जरूरी है कि हम उन्हें समझाएं कि मोबाइल के फायदे तो हैं ही, लेकिन इसके साथ कुछ खतरे भी जुड़े हुए हैं।

आजकल एक छोटी सी गलती से हमारी सारी जानकारी और व्यक्तिगत डेटा लीक हो सकता है। बस एक क्लिक से हमारी गोपनीय जानकारी दूसरों के हाथ लग सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि बच्चों को मोबाइल के उपयोग के दौरान सतर्कता बरतने की आदत डाली जाए। हमें उन्हें यह समझाना चाहिए कि किसी भी ऐप या वेबसाइट पर क्लिक करने से पहले उसके सुरक्षित होने की जांच करें और व्यक्तिगत जानकारी को साझा करते समय सावधानी बरतें।

इसके साथ ही, बच्चों को यह भी बताएं कि इंटरनेट पर जितनी जानकारी मिलती है, वह हमेशा सही नहीं होती, और कई बार गलत या झूठी जानकारी फैलाने वाले लोग भी सक्रिय होते हैं। बच्चों को सिखाएं कि वे इंटरनेट का सही तरीके से उपयोग करें, ताकि वे डिजिटल दुनिया के खतरों से बच सकें और इसका लाभ उठा सकें।

आखिरकार, हमें अपने बच्चों को मोबाइल के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में समय-समय पर जागरूक करना चाहिए, ताकि वे जिम्मेदारी से इसका उपयोग कर सकें।

विशेष अपने मोबाइल पर मैसेज पढ़ते हुए कहता है, “कला, तुमने बैंक से पैसे निकाले?”

कला, “नहीं, मैं क्यों पैसे निकालूंगी, वो भी बिना तुम्हें बताए?”

विशेष, “कला, लेकिन मेरे अकाउंट से अभी-अभी पैसे कटे हैं।

कला हैरानी से पूछती है, “कितने पैसे कटे हैं?”                        

विशेष, “25 हजार।                                                

कला हैरान होकर कहती है, “लेकिन विशेष, पैसे कैसे कट सकते हैं? तुम मेरे साथ कोई गेम तो नहीं खेल रहे हो ना? बिना तुम्हारे OTP दिए पैसे कैसे निकल सकते हैं?”

विशेष गुस्से से दांत पीसते हुए, “यही तो, मैं भी बोल रहा हूँ! मेरा मोबाइल या तो मेरे पास होता है या तुम्हारे पास। मैंने OTP नहीं दिया, तो तुमने OTP दिया होगा तभी तो पैसे निकले।

कला लगभग चीखते हुए, “तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना विशेष? ये तुम कैसी बातें कर रहे हो, मैं ऐसा क्यों करूंगी भला?”

धीरे-धीरे विशेष और कला के बीच झगड़ा बढ़ने लगता है, और शोरगुल सुनकर उनके पड़ोसी रमेश जी, जो रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर थे, उनके घर आ जाते हैं। रमेश जी विशेष और कला के बीच बिच-बचाव करने लगते हैं।

रमेश जी की बात सुनकर कला रोते हुए सारी बात रमेश जी को बताती है। कला की बात सुनकर रमेश जी विशेष और कला दोनों को चुप कराते हैं और दोनों को पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखवाने की सलाह देते हैं।

कुछ ही देर में विशेष और कला पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखवाने पहुँच जाते हैं, साथ में रमेश जी भी उनके साथ जाते हैं। रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस जांच में जुट जाती है, और जांच में जो बात सामने आती है, उसे सुनकर विशेष और कला के पैरों तले जमीन खिसक जाती है।

दरअसल, पुलिस जांच में यह सामने आया कि OTP देने वाला कोई और नहीं, उनका अपना 10 साल का बेटा तन्मय था।

तन्मय कभी अपनी मम्मी के तो कभी अपने पापा के मोबाइल पर गेम खेलता था, बस यही गलती हो गई। गेम खेलते-खेलते साइबर क्राइम करने वाले ने तन्मय को अपने जाल में फंसा लिया। उस मासूम को पता भी नहीं चला। उस धोखेबाज ने एक लिंक भेजा, और तन्मय ने बिना सोचे-समझे उस लिंक पर क्लिक कर दिया और फिर OTP भी दे दिया। यह तो गनीमत थी कि केवल 25 हजार रुपये ही गए। विशेष ने तुरंत एक्शन लिया और इस फ्रॉड का पता चल गया।

पैसे तो अभी तक नहीं मिले, लेकिन इस वाकये के बाद विशेष और कला दोनों सतर्क जरूर हो गए थे।

लेखिका-अल्पना सिंह

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