सच की लड़ाई

 सच की लड़ाई


जीवन में सच की हर लड़ाई कठिन होती है, लेकिन यह लड़ाई और भी मुश्किल तब हो जाती है जब हमें किसी अपने और सच में से किसी एक को चुनना पड़ता है। आज रीवा भी इसी कठिन समय से गुजर रही थी। एक दिन जब रीवा रेस्टोरेंट से बाहर निकल रही थी, तो उसने अपने भाई मोहित को किसी और लड़की के साथ देखा। पहले तो रीवा को विश्वास ही नहीं हुआ, क्योंकि कभी-कभी आंखों से देखा और कानों से सुना हुआ भी झूठ हो सकता है। रीवा किसी भी स्थिति में भ्रम या वहम पालना नहीं चाहती थी, इसलिए वह अपने भाई मोहित के पीछे-पीछे रेस्टोरेंट में चली गई। वहां दोनों के हाव-भाव को देखकर वह समझ गई कि इनके बीच दोस्ती से कहीं ज्यादा कुछ है।

रीवा चुपचाप वापस आ गई, लेकिन उस दिन वह रात भर सो नहीं पाई। उस रात उसे अपनी भाभी की यादें ता

जातरीन तरीके से सताती रही। इस घटना के बाद रीवा कई बार अपनी भाभी से मिली, और हर बार सोचती कि आज ही उसे अपने भाई की सच्चाई बता देगी, लेकिन हर बार यह सोचकर चुप हो जाती कि कहीं यह सच उनके रिश्ते में कड़वाहट न ला दे। भाई-बहन का प्यार भाभी और ननद के रिश्ते से कहीं अधिक महत्वपूर्ण था, और साथ ही एक उम्मीद भी थी कि शायद मोहित समय रहते अपनी गलती समझे और अपनी पत्नी की अहमियत को पहचान पाए।

लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। एक दिन वही हुआ, जिसका रीवा को डर था। रीवा की 12 साल की भतीजी, रोली का फोन आया। रोली रोते हुए बताती है कि मम्मी-पापा के बीच बहुत झगड़ा हुआ है और पापा ने मम्मी पर हाथ उठा दिया है। यह सुनकर रीवा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। रीवा तुरंत भाई के घर चली गई। घर का माहौल पूरी तरह से गड़बड़ था। रीवा की भाभी ने अपने मायके वालों को बुला लिया था। रोली ने दादा-दादी और बुआ (रीवा) को भी बुला लिया था। भाभी पुलिस केस करना चाहती थी, जबकि मोहित अपनी गलती से मुँह मोड़े हुए था।

रेस्टोरेंट वाली घटना के बाद, रीवा को अब किसी प्रकार का संकोच नहीं था। उसने पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने मम्मी-पापा को सच बताया। रीवा ने उन्हें बताया कि उसने खुद मोहित को उस लड़की के साथ देखा था और सारी सच्चाई साफ कर दी।

मोहित की सच्चाई जानकर उसके माता-पिता ने ठान लिया कि वे अपनी बहु और पोती के साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि अगर मोहित ने कोई गलत कदम उठाया, तो सारी जायदाद वे अपनी पोती के नाम कर देंगे। यह सुनकर मोहित गुस्से में घर से बाहर चला गया।

मोहित के घर लौटने पर, रीवा ने अपनी भाभी से कहा, "मैंने कहा था ना भाभी, भाई आपके बिना नहीं रह सकते। वह आपसे और रोली से बहुत प्यार करते हैं।"

रीवा की बात सुनकर, रीवा की भाभी ने उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर कहा, "मुझे नहीं पता कि मोहित मुझसे कितना प्यार करता है, लेकिन इस मुश्किल समय में तुमने मेरे साथ खड़ा होकर मेरा मनोबल बढ़ाया है। इसके लिए मैं हमेशा तुम्हारी एहसानमंद रहूंगी।"

रीवा अपनी भाभी के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, "भाभी, आप ऐसा क्यों कह रही हैं? मैंने तो केवल सच का साथ दिया है।"

                                                                अल्पना सिंह   

 

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