खाली-खाली ही हैं जिंदगी(कविता, शायरी)
खाली-खाली ही हैं जिंदगी
कहीं कुछ खाली-खाली
सी है जिंदगी,
होश-मदहोश करती,
कभी पास बुलाती,
कभी दूर, बहुत दूर नजर आती है जिंदगी।
शामें
वफ़ा की बात न कर,
आज कुछ खफा-खफा सी है जिंदगी।
मालूम था मुझे दिल लगाने की यही सजा
होती है,
दिल्लगी की आदत नहीं थी मुझे।
मोहब्बत की आरज़ू
मयख़ाने तक ले आई जिंदगी,
जाम में नशा नहीं है आज,
शामें वफ़ा की बात न कर,
आज कुछ खफा-खफा सी है जिंदगी।
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