सर्दियों की धूप(kavita,shayri )

 



सर्दियों की धूप
ये सर्दियों की धूप ना जाने कितनी यादें ले कर आती हैं,
कभी आँगन में, कभी छत पर, कभी गलियों में।
धूप की गर्माहट और आँखों आँखों की शरमाई यादें,
वो ऊन के धागे, उंगलियों में लपेटे, वो कांटो की चुभन।
बार-बार नजर उठा कर तुम्हारा मेरी ओर देखना,
इन सर्दियों की धूप के साथ दिल की बदमाशियाँ याद आती हैं।
ये सर्दियों की धूप ना जाने कितनी यादें साथ ले कर आती हैं।

अल्पना सिंह 

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