बाँध लो मुझे अपनी बांसुरी की तान में,(कृष्णा-भजन)


 बाँध लो मुझे अपनी बांसुरी की तान में,

जिस दिन तेरा नाम न लूँ श्याम,
वो सुबह कभी न आए मेरे जीवन में।

जिस दिन तेरी मनमोहनी छवि न देखूँ,
वो सुबह भी अधूरी रहे मेरे जीवन में।

तेरे प्रेम के रंग में रंग दूँ जीवन के सारे रंग,
मेरे हर स्वर, हर क्षण में बस तुम ही हो श्याम।

हे रासबिहारी! यदि तेरा रंग न हो इस जीवन में,
तो ऐसी सुबह कभी न आए मेरे जीवन में।

तेरी बांसुरी की तान में खो जाऊँ,
तेरी मधुर धुन की दीवानी बन जाऊँ।

हे मुरलीधर! बाँध लो मुझे अपनी मधुर तान में,
कि जीवन के हर क्षण तेरे चरणों में बीत जाए।

जिस दिन तेरी बांसुरी की धुन न सुनूँ,
वो सुबह भी मेरे जीवन में कभी न आए।

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